क्या पढ़ता है जनवादी कोरिया भारत के बारे में

नवभारत टाइम्स 7 मई 2021


भूल सुधार: मैं लंबे अरसे तक उत्तर कोरिया में नहीं, दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में रहा हूँ जो उत्तर कोरिया की सीमा से केवल 55 किमी होते हुए भी बहुत दूर है

लेखकः ब्रजेश सत्य


पिछले दिनों भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष विनय सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि सरकार ने अब तक 60 देशों की स्कूली किताबों का अध्ययन कर यह जानने की कोशिश की है कि वे अपने बच्चों को भारत के बारे में क्या पढ़ा रहे हैं। इस सिलसिले में अभी 150 और देशों की स्कूली किताबें खंगाली जाएंगी, फिर रिपोर्ट भारत सरकार को दी जाएगी।


सरकार दुनिया भर के पाठ्यक्रम खंगाल रही है। ऐसे में उत्तर कोरिया का भी नाम जेहन में कौंधता है, जिसके बारे में अपने यहां आम धारणा बनाई गई है कि वहां तो सिर्फ वहीं के नेता पढ़ाए जाते हैं, बाकी देशों से उनको कोई मतलब नहीं है। मैं लंबे अरसे तक वहां रहा हूं, उस देश को नजदीक से देखा है। वहां के 6 वर्षीय माध्यमिक विद्यालय के तीसरे से पांचवें वर्ष (भारत में कक्षा 9 से 11) के पाठ्यक्रम में बाकायदा दुनिया का इतिहास और भूगोल पढ़ाया जाता है। इनमें से अकेले एक कक्षा की विश्व इतिहास और भूगोल की किताब में सिर्फ भारत के बारे में 16 पन्ने हैं।

उत्तर कोरिया की विश्व इतिहास की किताब में ‘प्राचीन राज्य’ नाम के चैप्टर में बताया गया है कि सिंधु घाटी में खेती की सिंचाई शुरू हुई और भारत के पहले गुलाम राज्य का गठन हुआ, शहरी सभ्यता विकसित हुई। इसके बाद प्राचीन सभ्यता गंगा नदी घाटी की ओर चली गई। प्राचीन भारत के दास-स्वामी वर्ग ने अपने धन और राजनीतिक प्रभुत्व को बनाए रखने के लिए एक सख्त वर्ण व्यवस्था बनाई, और इसे चार वर्गों में बांटा गया। इस व्यवस्था ने भारतीय समाज के विकास को भारी नुकसान पहुंचाया।


वहां की किताबों में से एक में ‘पूंजीवादी शक्तियों का एशिया पर आक्रमण और जनता का आक्रमण विरोधी, सामंतवाद विरोधी संघर्ष’ नाम से चैप्टर है। इसमें ब्रिटेन का भारत पर कब्जा और सिपाही विद्रोह के बारे में बताया है। लिखा है कि अंग्रेजों ने भारत को लूटने के लिए 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी बनाई और रियासतों के बीच फूट डालकर उन्हें नीच तरीके से जीता। वहीं 1857 के विद्रोह को अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय जनता का राष्ट्रव्यापी विद्रोह बताते हुए कहा गया है कि भले ही नेतृत्व की अक्षमता और विश्वासघात, विद्रोह के स्थानीय फैलाव, अंग्रेजों की फूट डालने की नीति से यह विद्रोह फेल हो गया, लेकिन अंग्रेजी शासन को घायल करके बाद में इसने आजादी के आंदोलन पर बड़ा असर डाला।


इन्हीं कक्षाओं की एक किताब में ‘विभिन्न देशों में क्रांतिकारी आंदोलन का विकास’ नाम से एक चैप्टर है। इसमें आजादी का आंदोलन और गांधीजी हैं। इसमें लिखा है कि अक्टूबर की समाजवादी क्रांति के बाद कई एशियाई देशों में क्रांतिकारी आंदोलन तेज हो गया। भारत में अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष और बढ़ गया। मार्च 1918 में बंबई के कपड़ा मिल मजदूरों ने बड़ा प्रदर्शन किया, लेकिन असंगठित होने के कारण क्रांतिकारी संघर्ष के अगुआ नहीं बन सके। उसके बाद आंदोलन गांधी जी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चलाया। गांधीजी के अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन, जलियांवाला बाग हत्याकांड और अंग्रेजों के क्रूर दमन के बारे में भी बताया गया है।




‘दूसरे विश्वयुद्ध के बाद राष्ट्रीय मुक्ति आंदोलन का उदय’ नाम के एक चैप्टर में भारत की आजादी, भारत-पाकिस्तान विभाजन, विवाद और कश्मीर सहित बांग्लादेश के उदय का उल्लेख है। वहीं कक्षा 9 की भूगोल की किताब में ‘एशिया महादेश’ नामक चैप्टर में लिखा है कि भारत एक बहु जातीय और बहुभाषी देश है जो विश्व में अनाज का प्रमुख उत्पादक है। यहां धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार गाय को महत्व दिया जाता है। भारत विकासशील देशों में अपेक्षाकृत विकसित उद्योगों वाला देश है।


इसमें लिखा है कि आजादी के बाद बिजली, इस्पात और मशीनरी उद्योग विकसित हुए, तो इलेक्ट्रॉनिक्स, विमानन और परमाणु ऊर्जा जैसे नए उद्योगों की स्थापना हुई। हाल के वर्षों में यहां सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी तेजी से विकसित हो रही है। उत्तर कोरिया के स्कूलों में अपने देश के बारे में जितना भी पढ़ाया जाता है, उसके पीछे बड़ी वजह यह रही है कि अमेरिका के सबसे बड़े इस दुश्मन देश के भारत से संबंध हमेशा ही दोस्ताना रहे हैं।



 

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