कम्युनिज्म की स्थापना
विगत 6-8 अप्रैल 2021 को प्योंगयांग में आयोजित वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया के ब्रांच (कम्युनिस्ट पार्टी की प्राथमिक ईकाई) सचिवों के सम्मेलन के आखिरी दिन पार्टी महासचिव किम जोंग उन का भाषण और कम्युनिस्ट इंटरनेशनल की धुन के साथ सम्मेलन का समापन (अंग्रेजी सबटाईटल सहित)
वर्कर्स पार्टी के इस तीन दिवसीय सम्मेलन की खास बात यह रही कि पार्टी महासचिव किम जोंग उन ने सम्मेलन के आखिरी दिन 8 अप्रैल 2021 को अपने लिखित समापन भाषण में "कम्युनिज्म" शब्द का दो बार उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि पार्टी का महान लक्ष्य "कम्युनिज्म" ही है और पार्टी के कई लाख ब्रांच सचिव और पार्टी कार्यकर्ता पार्टी सदस्यों को पार्टी की केन्द्रीय समिति के नेतृत्व से मजबूती से जोड़े रहेंगे और उनकी वफादारी,देशभक्ति और रचनात्मक ज्ञान को बढ़ावा देंगे तो हमारी क्रांति अधिक तेजी से विजयी होगी और कम्युनिस्ट आदर्श की सच में स्थापना होगी.
इसके अलावा उन्होंने पार्टी ब्रांचों की मजबूती के लिए 10 महत्वपूर्ण कार्यों का उल्लेख किया
1. पार्टी सदस्यों और मेहनतकशों को पार्टी की लाईन और नीति से मजबूती से लैस करना
2. क्रांति की परंपरा, वफादारी, देशभक्ति, वर्गीय चेतना और नैतिकता इन 5 बुनियादी तत्वों पर आधारित विचारधारात्मक शिक्षा
3. पार्टी नियम संबंधित शिक्षा को मजबूत कर पार्टी जीवन को नियमित करना और उसके लिए एक मानक तैयार करना
4. पार्टी के सदस्यों के बीच पार्टी संगठन की धारणा को बढ़ाना और एक स्व-जागरूक पार्टी जीवन लोकाचार स्थापित करना
5. पार्टी कांग्रेस और पार्टी की सेंट्रल कमिटी के महत्वपूर्ण निर्णयों को लागू करने की दिशा में जमीनी संगठनों को मजबूती से निर्देशित करना
6. विज्ञान और तकनीक की मदद से अपनी इकाई को सौंपे गए क्रांतिकारी मिशन को जिम्मेदारी से पूरा करना
7. पार्टी के भावी सदस्य के रूप में सूचीबद्ध लोगों की देखभाल और उनका प्रशिक्षण
8. युवाओं की शिक्षा पर विशेष जोर देना
9. इंसान में बदलाव लाने के काम को सक्रिय रूप से करते हुए समूह में एक-दूसरे की मदद करने और नेतृत्व करने की कम्युनिस्ट भावना का विकास करना
10. समाजवाद विरोधी और गैर-समाजवादी तत्वों के खिलाफ मजबूत संघर्ष
कहाँ तो तथाकथित "कोरिया विशेषज्ञों" का तबका जोर शोर से दावा करने लग गया था कि उत्तर कोरिया को कम्युनिज्म से कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि उसने मार्क्सवाद का पूर्ण रूप से परित्याग कर जूछे नामक गैर मार्क्सवादी विचारधारा को अपना लिया है. उत्तर कोरिया के तथाकथित "विशेषज्ञों" के इस तबके ने उत्तर कोरिया को लेकर बार बार मुंह की खाई है और खाते रहेंगे. जूछे मार्क्सवाद और कोरिया की विशेष परिस्थितियों पर आधारित एक दर्शन है. उत्तर कोरिया के किसी भी दस्तावेज में इस बात का जरा भी जिक्र नहीं मिलता कि जूछे एक गैर मार्क्सवादी विचारधारा है.
कापी पेस्ट के इस युग में यह भी जान लीजिये कि किसी भी देश की समाजवादी व्यवस्था को कापी कर दूसरे देश में समाजवाद के निर्माण के लिए जैसे का तैसा पेस्ट नहीं किया जा सकता है. पूर्वी यूरोप में यही हुआ था. पूर्वी यूरोपीय देशों ने अपने यहाँ की मौजूदा ठोस परिस्थितियों की विशिष्टताओं पर ध्यान दिए बिना समाजवाद के निर्माण का सोवियत अनुभव अपना लिया था. शुरू में उन देशों में काफी प्रगति हुई लेकिन पूर्वी यूरोप में कम्युनिस्ट पार्टी के आम सदस्यों को विचारधारात्मक दृष्टि से लैस करने और उनको समाजवादी मनुष्य जैसा विकसित करने के लिए आवश्यक विचारधारात्मक चेतना के निर्माण की जागरूकता नहीं बरती गयी और इसके अभाव में नयी पीढ़ी के लोग जिनके पास फासीवाद की विभीषका और पूंजीवादी शोषण का अनुभव नहीं था , वे पश्चिमी साम्राज्यवाद के धुआंधार प्रचार और उपभोक्ता समाज के प्रलोभनों में आ गए और समाजवाद के निर्माण में विरूपण( Disfigurement, Distortion) द्वारा पैदा की गयी समस्याओं का सामना करने के लिए सर्वहारा दृष्टिकोण अपनाने के बजाय ये लोग पूंजीवादी उदारवाद की तरफ मुड़ने लगे और यही चीज आगे चलकर पूर्वी यूरोप में समाजवाद के पतन का कारण बनी. उत्तर कोरिया में शुरू से ही सोवियत संघ या चीन के मॉडल को जस का तस नहीं अपना कर वहाँ की स्थानीय परिस्थितियों का ठोस आकलन कर समाजवाद का निर्माण किया गया.
पूर्वी यूरोप की तरह उत्तर कोरिया में समाजवाद का विरूपण ( Disfigurement, Distortion) नहीं हुआ बल्कि वहाँ की ठोस स्थानीय परिस्थितियों के आधार पर समाजवाद का निर्माण हुआ और हो रहा है. यह बात साबित हो चुकी है कि दूसरे देशों के समाजवाद के मॉडल को जस का तस अपनाने से वह ज्यादा दिन नहीं चलने वाला है.
इसके किसी समाजवादी लोकतंत्र में पार्टी के अंदरूनी जनतंत्र के नियम कायदों का उल्लंघन होता है तो इसके फलस्वरूप नौकरशाही को बढ़ावा मिलता है और इससे विचारधारात्मक(Ideological) रूप से क्षय (Deterioration) होता है और पार्टी की कतारों में मौजूद भ्रष्ट और अवसरवादी लोग पार्टी पर हावी हो जाते हैं और पार्टी का जनता से टकराव हो जाता है. इसके अलावा समाजवादी लोकतंत्र में आम जनता के बीच विचारधारात्मक काम की अनदेखी, समाजवादी चेतना को उपर उठाने के काम की अनदेखी और मानव समाज के एक उच्चतर रूप के निर्माण में लगातार बढ़ती तादाद में हिस्सेदारी के लिए जनता को खींचने के काम की अनदेखी से कम्युनिस्ट विरोधी ताकतों को फलने फूलने का मौका मिलता है. पूर्वी यूरोप और सोवियत संघ में यही हुआ था. अगर यही चीजें उत्तर कोरिया में हुई होतीं तो वहाँ भी समाजवाद का पराभव निश्चित होता.
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