साल 2020 और जनवादी कोरिया

 यह लेख 31 दिसम्बर 2020 का है

साल 2020 विश्वव्यापी महामारी कोरोना के लिए इतिहास के पन्नों  में दर्ज किया जाएगा। इस साल ने हमें यह भी दिखाया  कि  कोरोना महामारी से निबटने में कौन सी व्यवस्था बेहतर साबित हुई, मुनाफा केंद्रित पूंजीवादी व्यवस्था या मानवकेंद्रित समाजवादी व्यवस्था. पूंजीवादी देशों में ताईवान और न्यूजीलैंड जैसे इक्के दुक्के  अपवादों को छोड़ दिया जाए तो इस मुनाफा केंद्रित व्यवस्था वाले देश कोरोना को नियंत्रित करने में पूरी तरह नाकाम रहे और इन देशों में हजारों लाखों की तादाद में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इन देशों की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से धराशायी हो गई, लाखों लोगों का रोजगार छिना. वहीं समाजवादी व्यवस्था वाले देशों ने कोरोना पर बेहतर और प्रभावी ढंग से काबू पाया और अपनी अर्थव्यवस्था को भी बेहतर संभाला. इन्हीं समाजवादी देशों में से एक उत्तर कोरिया में कोरोना के पूरी दुनिया में कहर के एक साल के बाद भी  कोरोना का एक भी मामला नहीं है और जाहिर है यहाँ इससे एक भी जान नहीं  गई है.  उत्तर कोरिया की सरकार ने 2020 की शुरुआत से ही त्वरित कदम उठाने शुरू कर दिए थे. शुरू में कोरोना महामारी के केंद्र रहे चीन से लगती देश की सीमा को बंद किया करने, सार्वजनिक जगहों को बार बार विसंक्रमित (Disinfect) करने , लोगों को मास्क लगाने के लिए  जागरूक करने जैसे कदमों से देश कोरोना के कहर से बचा रहा और विश्व स्वास्थ्य संगठन के उत्तर कोरिया में प्रतिनिधि ने भी इस बात की पुष्टि की कि देश में कोरोना का एक भी मामला नहीं है.


कोरोना महामारी के अलावा 2020 कई भयंकर प्राकृतिक आपदाओं का भी गवाह रहा. उत्तर कोरिया पर भी ऐसी आपदाओं की गाज गिरी और  अगस्त सितम्बर के महीने में कई दिनों तक मूसलाधार  बारिश और लगातार तीन चक्रवाती तूफानों का सामना किया. लगातार भारी बारिश ने देश के पूर्वी  इलाकों में  भयंकर तबाही मचाई और लगभग 16,600 घर नष्ट हो गए या बाढ़ में डूब गए. रही सही कसर इसके बाद आए तीन तूफानों ने पूरी कर दी.           


उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी ने इसके तुरंत बाद पुनर्वास का काम शुरू कर दिया. प्रभावित इलाकों के  जनजीवन को  पटरी पर लाने के लिए पार्टी और सरकार के आह्वान पर पूरा देश बाढ़ और तूफान पीड़ितों के राहत और पुनर्वास के  लिए एकजुट हो गया. आम जनता के अलावा पार्टी की केंद्रीय समिति के पदाधिकारियों द्वारा पीड़ितों के लिए रातोंरात राहत सामग्री भेजी गई. 

वर्कर्स पार्टी के चेयरमैन किम जोंग उन ने प्रभावित इलाके में पुनर्वास परियोजना के लिए   कोरियाई जन सेना की टुकड़ियों और विशेष निर्माण  दल भेजा.

  इसके अलावा उन्होंने राजधानी प्योंगयांग के सारे पार्टी सदस्यों को खुला खत भेजा जिसमें पार्टी सदस्यों को प्रभावित इलाकों में चल रहे पुनर्वास कार्य क्रम में जुट जाने का आह्वान किया गया था. इसके तुरंत बाद बाबू साहब समझे जाने वाले प्योंगयांग निवासी पार्टी सदस्यों ने प्रभावित इलाकों का रूख किया और स्थानीय पीड़ितों के साथ रहना और खाना साझा करते हुए पुनर्वास कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर काम किया. 

पीड़ितों के घर के फिर से बनने तक उनके रहने खाने यहाँ तक कि उनके मनोरंजन की व्यवस्था भी स्थानीय पार्टी कार्यालयों में की गई. 


पार्टी के चेयरमैन किम जोंग उन ने  प्रभावित इलाकों का धुआंधार दौरा किया और कई बार तो वे खुद से गाड़ी चलाते हुए दौरा करते देखे गए. उन्होंने राहत और पुनर्वास कार्य में लगे लोगों का खूब उत्साहवर्धन किया और आवश्यक दिशा निर्देश दिए.





जल्द ही बाढ़ और तूफान से क्षतिग्रस्त घरों की जगह नए और बेहतर घर बनकर तैयार हो गए और उत्तर कोरिया की समाजवादी व्यवस्था के तहत जरूरतमंदों को बिल्कुल मुफ्त में दिए गए. 



उत्तर कोरिया की वर्कर्स पार्टी और उसकी सरकार का परम उद्देश्य ही जनता के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देना और उसके लिए जरूरी इंतजाम करना है और उत्तर कोरिया की जनता भी अपनी पार्टी के लाल झंडे के नीचे एकजुट है.


2020 में वर्कर्स पार्टी की 75 वीं वर्षगांठ भी पूरे देश में धूमधाम से मनाई गई. देश की अर्थव्यवस्था की विदेशों पर कम निर्भरता ने भी स्थिति नहीं बिगड़ने दी. उत्तर कोरिया ने साबित कर दिया कि आत्मनिर्भरता का लक्ष्य काफी हद तक हासिल किया जा सकता है बशर्ते उसे लेकर जुमलेबाजी न की जाए. जनवरी 2021 में वर्कर्स पार्टी की 8 वीं पार्टी कांग्रेस के मद्देनजर अक्टूबर 2020 से पूरे देश में 80 दिनों का विशेष अभियान चलाया जा रहा है और इसके तहत विद्युत, खनन ,इस्पात, कोयला, सीमेंट, धातु, रसायन, उर्जा, मशीन निर्माण, रेल परिवहन आदि क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और उत्पादन के नित नए कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे हैं.


2020 में उतर कोरिया ने यह साबित कर दिया है कि समाजवाद महामारी और प्राकृतिक आपदाओं के निपटते हुए बहुसंख्यक जनता के सच्चे हित के लिए काम करने में उस व्यवस्था से अतुलनीय ढंग से कहीं बेहतर है जो चंद दौलतमंदों के  केवल लाभ का, लाभ के लिए,  लाभ के द्वारा के सिद्धांत पर चलती है.



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