जनवादी कोरिया की आजादी

 भारत की तरह कोरिया का भी स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाता है. भारत से 2 साल पहले 15 अगस्त 1945 को कोरिया जापान के साम्राज्यवादी शासन से आज़ाद हुआ था, तब कोरिया विभाजित नहीं था. इसलिए उत्तर(जनवादी कोरिया) और दक्षिण कोरिया दोनों देशों में 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है (जनवादी कोरिया 15 अगस्त 1945 के बाद से ही पूरी तरह से आज़ाद मुल्क है. वहीं दक्षिण कोरिया 15 अगस्त 1945 से लेकर 8 सितम्बर 1945 तक जापानी साम्राज्यवाद से महज कुछ दिन ही आज़ाद रहकर 9 सितम्बर 1945 से लेकर अब तक अमेरिकी साम्राज्यवाद के कब्जे में ही है और  नाममात्र का ही आज़ाद और संप्रभु मुल्क है. वहीं भारत काॅरपोरेट और उसके दलालों के क्रूर पंजे में फंसकर लोकतंत्र के असली मायने समझने के लिए संघर्ष कर रहा है.)


  15 अगस्त 1945 को कोरिया को जापानी साम्राज्यवाद के क्रूर और दमनकारी फासीवादी शासन से मुक्ति मिली, जिसमें सबसे बड़ा योगदान प्रतिभाशाली सेनापति और सैन्य रणनीतिकार काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में 20 वर्षों तक चले सशस्त्र संघर्ष का था . कॉमरेड किम इल संग के नेतृत्व वाली जापानी-विरोधी जनवादी गुरिल्ला सेना के पास न तो कोई राज्य का आधार था और न ही कोई ऐसा आधार जिस पर वह भरोसा कर सके. जापानी-विरोधी गुरिल्लाओं का सशस्त्र संघर्ष एक आत्मनिर्भर संघर्ष था. काॅमरेड किम इल संग ने मुक्ति के लिए बड़ी शक्तियों पर निर्भर रहने के चापलूस विचार को त्याग दिया और इसके बजाय, जनता पर पूरी तरह निर्भर रहते हुए, जापानी साम्राज्यवाद के विरुद्ध एक स्वतंत्र संघर्ष किया.    

                                 

जापान-विरोधी सशस्त्र संघर्ष ने व्यवहार में पूरी तरह से सिद्ध कर दिया कि स्वतंत्रता हथियारों के बल पर ही प्राप्त की जा सकती है. जापान-विरोधी सशस्त्र संघर्ष के दौरान काॅमरेड किम इल संग ने सनगुन (सेना सर्वप्रथम) की नीति पर दृढ़ता से चलते हुए, राष्ट्रीय सुधारवादियों और अवसरवादियों के इस भ्रम को खारिज कर दिया कि स्वतंत्रता शांतिपूर्ण तरीकों से या भीख माँगकर प्राप्त की जा सकती है.


 काॅमरेड किम इल संग की गुरिल्ला रणनीति और जापानी-विरोधी जनवादी गुरिल्ला सेना (जो बाद में कोरियाई जनवादी क्रांतिकारी सेना बनी) के अदम्य संघर्ष ने जापानी साम्राज्यवाद की चूलें हिला दीं और जापानी साम्राज्यवाद की लाखों सैनिकों वाली क्वांटुंग सेना को परास्त कर दिया.बर्बर जापानी साम्राज्यवादी आक्रमणकारियों को अंततः कोरिया की धरती से खदेड़ दिया गया.

  काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में कोरियाई पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय फासीवाद की मुख्य ताकतों में से एक जापानी साम्राज्यवाद की पराजय ने दुनिया भर में फासीवाद विरोधी ताकतों की जीत में एक महान योगदान दिया.                             

   

एक प्रतिभाशाली सैन्य रणनीतिकार और सदैव विजयी, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, प्रतिभाशाली सेनापति, काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में कोरियाई जनता का विजयी मुक्ति संघर्ष, अपनी स्वतंत्रता और मुक्ति के लिए संघर्षरत औपनिवेशिक देशों के लोगों के लिए एक प्रेरणा था. हवाना में 1968 की विश्व सांस्कृतिक कांग्रेस ने महान नेता कॉमरेड किम इल संग के नेतृत्व में छेड़े गए जापान-विरोधी सशस्त्र संघर्ष की प्रशंसा करते हुए एक दस्तावेज़ अंगीकार किया.

    

अगस्त 1945 में काॅमरेड किम इल संग की कमान में कोरियाई पीपुल्स रिवोल्यूशनरी आर्मी की जीत के साथ, कोरियाई लोगों ने अंततः जापानी उपनिवेशवाद की क्रूर बेड़ियों से मुक्ति प्राप्त की और स्वतंत्रता के एक नए जीवन, भविष्य के लिए आशा के जीवन का स्वागत किया.

       

  

काॅमरेड किम इल संग के नेतृत्व में मुक्ति के बाद, कोरिया के लोगों ने एक नए, समृद्ध और स्वतंत्र देश जनवादी कोरिया का निर्माण किया, एक ऐसा देश जिसकी, दुश्मनों के शब्दों में भी, "अखंड संप्रभुता" है. आत्मनिर्भरता के झंडे तले, जनवादी कोरियाई लोग देश की स्वतंत्रता को और मज़बूत कर रहे हैं और एक उत्कृष्ट और शक्तिशाली स्वतंत्र शक्ति का निर्माण कर रहे हैं. जनवादी कोरियाई लोगों का जीवन अब स्वतंत्रता और रचनात्मकता से भरा है.


जनवादी कोरिया के पिछले 80 साल स्वतंत्रता, आत्मनिर्भरता के रहे हैं.आज, काॅमरेड किम जंग उन के नेतृत्व में, जनवादी कोरिया, एक शक्तिशाली समाजवादी शक्ति के रूप में उभर रहा है.

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