जनवादी कोरिया का बजट

  जनवादी कोरिया में सार्वजनिक खर्चों में कटौती या मितव्ययिता(Austerity) नाम की चीज क्यों नहीं है? 

कुछ लोग कहते हैं कि जनवादी कोरिया पूंजीवादी देशों से अलग नहीं है और यहाँ भी सार्वजनिक खर्चों में कटौती या मितव्ययिता होती है. जनवरी 2025 के तीसरे सप्ताह में जनवादी कोरिया की संसद सुप्रीम पीपुल्स असेंबली (जनवादी कोरिया की सर्वोच्च कानून बनाने वाली संस्था) ने अपने 14वें कार्यकाल का 12वां सत्र आयोजित किया. सत्र की अवधि के दौरान 23 जनवरी को जनवादी कोरिया के वित्त मंत्री काॅमरेड री म्यंग गुक ने वर्ष 2024 के बजट के लक्ष्यों की पूर्ति पर रिपोर्ट और वर्ष 2025 का बजट पेश किया.






रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष जनवादी कोरिया के बजटीय राजस्व में 4.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई और राज्य द्वारा खर्च में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई . यहां ध्यान देने योग्य दो बातें महत्वपूर्ण हैं, पहला, जनवादी कोरिया में खर्च बढ़ाया जा रहा है और कटौती नहीं की जा रही है, दूसरे, जनवादी कोरिया अपनी 'कमाई' से अधिक खर्च नहीं कर रहा है, और वास्तव में एक छोटे बजटीय अधिशेष(Surplus) के साथ काम कर रहा है! और 2025 में सार्वजनिक खर्च को 3.2 प्रतिशत और बढ़ाने की योजना है. इस वर्ष राज्य के बजट का 37 फीसदी हिस्सा स्वास्थ्य, शिक्षा और खेल पर खर्च किया जायेगा. जनवादी कोरिया सार्वजनिक व्यय में कटौती नहीं कर रहा है जबकि पूंजीवादी देश वर्षों से लगातार कटौती या मितव्ययता बरत रहे हैं.


पूंजीवादी देशों के विपरीत, जनवादी कोरिया अपने सार्वजनिक खर्च को राज्य के स्वामित्व वाले उद्योगों के मुनाफे के माध्यम से वित्तपोषित करता है. जनवादी कोरिया की सरकार बैंकों से पैसा उधार नहीं लेती है और न ही राजस्व पैदा करने के लिए नोट छापती है. तथाकथित शत प्रतिशत मुक्त बाजार और विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था संयुक्त राज्य अमेरिका पर $36 ट्रिलियन का चौंका देने वाला राष्ट्रीय ऋण है. यानि की हरेक अमेरिकी नागरिक पर लगभग 107,000 डाॅलर के बराबर का कर्ज है.अमेरिका राष्ट्रीय ऋण के भुगतान में $1 ट्रिलियन का भुगतान करता है. 


वहीं विश्व की तथाकथित 5 वीं बड़ी अर्थव्यवस्था भारत में सार्वजनिक व्यय में फिर से कटौती होने वाली है, जैसा कि 2020-21 से हर साल हो रहा है - इस बार 2024-25 में 14.6% से 2025-26 में 14.2% तक. आज यानि 1 फरवरी 2025 को पेश किए गए भारत के बजट के कागजात के मुताबिक सरकार ने अपने बड़े-बड़े दावों के विपरीत, वास्तव में पिछले साल बजट में किए गए वादे से लगभग एक लाख करोड़ रुपये कम खर्च किए. स्वास्थ्य और शिक्षा क्षेत्र को भी कटौती का सामना करना पड़ा है.


 अगर पीछे जाऐं तो 2007-2008 में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में बैंक ध्वस्त हो गए और उन्हें सरकार द्वारा करदाताओं के टैक्स के पैसे से राहत पैकेज देना पड़ा . जबकि जनवादी कोरिया में कोई भी बैंक कभी डूबा नहीं है तो उसे राहत पैकेज देने की जरूरत ही नहीं पड़ी है, ऐसा इसलिए है क्योंकि जनवादी कोरिया में एक समाजवादी योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था और जूछे-आधारित आत्मनिर्भर स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था है. इसके किसी भी बैंक का स्वामित्व विदेशी बैंकों के पास नहीं है और जनवादी कोरिया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF), विश्व बैंक, विश्व व्यापार संगठन (WTO) या विश्व आर्थिक फोरम (WEF) का सदस्य नहीं है, इसलिए जनवादी कोरिया अपने हित में अपनी अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करता और योजना बनाता है.


यह जूछे का एक और चमत्कार है कि जनवादी कोरिया सार्वजनिक खर्च बढ़ा सकता है लेकिन साथ ही पैसे उधार नहीं ले सकता या पैसा नहीं छाप सकता. जनवादी कोरिया में कोई मितव्ययिता या कटौती जैसी चीज का अस्तित्व ही नहीं है.

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