आक्रामक साम्राज्यवाद विरोधी चौकी

 दिसंबर 2024 के अंत में आयोजित वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की 8वीं सेंट्रल कमिटी की 11 वें प्लेनम के अपने संबोधन में, काॅमरेड किम जंग उन ने स्पष्ट किया कि "अमेरिका सबसे प्रतिक्रियावादी राज्य है जो कम्युनिस्ट विरोध को अपनी अपरिवर्तनीय राज्य नीति मानता है. अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया के बीच गठबंधन आक्रामकता के लिए एक परमाणु सैन्य ब्लॉक में विस्तारित हो गया है, और दक्षिण कोरिया अमेरिका का कट्टर कम्युनिस्ट विरोधी चौकी बन गया है."

काॅमरेड किम जंग उन ने कहा कि "सबसे कठोर अमेरिका-विरोधी प्रतिकार के लिए रणनीति बनाने की शुरुआत की जानी चाहिए ". पिछले नवंबर में अमेरिकी चुनावों के बाद "राष्ट्रीय रक्षा 2024" प्रदर्शनी में काॅमरेड किम जंग उन ने यह भी कहा कि "हमने संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ द्विपक्षीय वार्ता में पहले से ही हर संभव प्रयास किया था, और अंततः हमें इस चीज के प्रति आश्वस्त हो गए कि महाशक्ति (अमेरिका) की हमारे साथ सह-अस्तित्व की इच्छा नहीं थी, बल्कि उसका दबंग रुख और जनवादी कोरिया के प्रति अपरिवर्तनीय आक्रामक और शत्रुतापूर्ण नीति थी.


अमेरिकी राजनीतिज्ञ अभी भी कहते हैं, जैसा कि वे कहने के आदी हैं, कि संयुक्त राज्य अमेरिका कभी भी शत्रुतापूर्ण नहीं रहा है. इस अजीब-सी लगने वाली बयानबाजी को लंबे समय से दुनिया ने प्रशंसनीय के अलावा कुछ भी कहकर खारिज कर दिया है.


अमेरिकी साम्राज्यवादियों और उनकी जागीरदार ताकतों की किसी भी कीमत पर हमारी विचारधारा और व्यवस्था को खत्म करने और हमारे लोगों को पूरी तरह से नष्ट करने की बेतहाशा महत्वाकांक्षा कभी नहीं बदली है। बल्कि, वे इस सदी में इस महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए पुरजोर प्रयास कर रहे हैं".


इससे पता चलता है कि जनवादी कोरिया अमेरिकी साम्राज्यवाद के बारे में किसी भी तरह के भ्रम में नहीं है और पूरी तरह से मानता है कि अमेरिकी साम्राज्यवाद की आक्रामक, प्रतिक्रियावादी और शिकारी प्रकृति न तो बदल सकती है और न ही बदलेगी, चाहे व्हाइट हाउस में कोई भी बैठे. अमेरिका जनवादी कोरिया की समाजवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहता है और ऐसा करने के लिए हमेशा नए-नए तरीके खोजता रहता है.


निःसंदेह अतीत में जनवादी कोरिया, जो खुद स्वतंत्रता, शांति और मित्रता के सिद्धांतों पर चलता है, ने अमेरिका के साथ शांति समझौते पर पहुंचने की कोशिश की और यहां तक ​​कि अमेरिका के साथ एक शिखर सम्मेलन भी आयोजित किया. इसी तरह, अतीत में जनवादी कोरिया ने कोरिया के शांतिपूर्ण पुनर्मिलन के प्रस्तावों को आगे बढ़ाकर कोरियाई प्रश्न को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने का प्रयास किया और दक्षिण कोरिया के साथ कई वार्ताएं कीं. हालाँकि, अमेरिकी साम्राज्यवाद के कठपुतली राज्य दक्षिण कोरिया ने कभी भी शासन परिवर्तन, जनवादी कोरिया के विलय और उपनिवेशीकरण की अपनी महत्वाकांक्षा नहीं छोड़ी. इसलिए 2023 के अंत में, जनवादी कोरिया ने औपचारिक रूप से पुनर्एकीकरण के लक्ष्य को त्याग दिया और 2024 में राष्ट्रीय पुनर्एकीकरण और अंतर-कोरियाई संबंधों से जुड़े निकायों को भंग करने के साथ-साथ सड़क और रेल संपर्क को स्थायी रूप से काट दिया.


जैसा कि उपर कहा गया कि जनवादी कोरिया स्वतंत्रता, शांति और मित्रता के सिद्धांत पर चलता है. इसके 100 से अधिक देशों के साथ राजनयिक संबंध हैं. जनवादी कोरिया की कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भागीदारी है. इसने कई देशों को अंतर्राष्ट्रीय सहायता दी है जैसे गिनी और तंजानिया में कृषि संस्थान स्थापित करना. जनवादी कोरिया ने साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष में सहायता करने में अपनी क्षमता से कहीं अधिक प्रयास किया. 1962 के कैरेबियन संकट के दौरान जनवादी कोरिया क्यूबा के साथ तब खड़ा रहा जब अन्य देशों ने उसे छोड़ दिया. उस वक्त क्यूबा में जनवादी कोरिया के राजनयिक और छात्र क्यूबा की जनता के साथ उनकी क्रांति की रक्षा के लिए कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने के लिए तैयार थे.


काॅमरेड किम इल संग ने 1960 के दशक में अपने देश के अंतरराष्ट्रीय स्वयंसेवकों को वियतनाम भेजने का आह्वान किया और कोरियाई पीपुल्स आर्मी (केपीए) की वायु सेना के सर्वश्रेष्ठ पायलट के साथ-साथ सुरंग बनाने वाले विशेषज्ञों और सामग्री सहायता को भी वियतनाम भेजा. 

संयुक्त अरब गणराज्य (मिस्र) और इजरायली जायनवादियों के बीच 1973 के अक्टूबर युद्ध के दौरान, ज़ायनवादी आक्रामकता के खिलाफ लड़ाई में अरब लोगों की सहायता के लिए केपीए पायलटों का एक स्क्वाड्रन भेजा गया था. काॅमरेड किम इल संग ने भी ग्रेनेडा की क्रांति का समर्थन किया था. उन्होंने जनवादी कोरिया के निर्माण विशेषज्ञों को ग्रेनेडा भेजा और ग्रेनेडा की जनता की क्रांतिकारी सरकार को उदारतापूर्वक सैन्य सहायता दी.

इस तरह हम देख सकते हैं कि साम्राज्यवाद के विरुद्ध संघर्ष में जनवादी कोरिया की भूमिका केवल सैद्धांतिक नहीं है. इसके अलावा बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए भी जनवादी कोरिया अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता आया है. जनवादी कोरिया दक्षिण-दक्षिण सहयोग (South- South Cooperation) के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.उदाहरण के लिए, गुटनिरपेक्ष आंदोलन का निर्माण और उसे मजबूत करना और वैश्विक दक्षिण के लोगों के संघर्षों को एकजुटता और अंतर्राष्ट्रीय सहायता प्रदान करना. क्यूबा, वियतनाम, मिस्र और ग्रेनेडा का उदाहरण उपर है.


वर्तमान में जनवादी कोरिया यूक्रेन में अमेरिका द्वारा निर्मित नव-नाजीवाद के खिलाफ संघर्ष में दृढ़ता से रूस के पक्ष में है और अमेरिका समर्थित जायनवादी शासन के खिलाफ फिलिस्तीनी लोगों के पक्ष में है जो फिलिस्तीन के बड़े हिस्से पर कब्जा कर रहा है और फिलिस्तीनी लोगों का दमन कर रहा है. जबकि साथ ही जनवादी कोरिया दुनिया के सबसे बड़े दुष्प्रचार अभियान का शिकार है, दुनिया के सबसे कठिन प्रतिबंधों में से एक को झेल रहा है और अमेरिकी सेना इसके दक्षिण में पिछले 80 वर्षों से कब्जारत है और नियमित रूप से इसके खिलाफ आक्रामक सैन्य युद्धाभ्यास कर रहा है. पर इन सबके बावजूद जनवादी कोरिया पूरी दुनिया के सबसे मजबूत साम्राज्यवाद विरोध और विश्व शांति के गढ़ के रूप में खड़ा है.

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