दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ-2

 


अचानक, मंगलवार 3 दिसंबर को लगभग 2300 बजे (स्थानीय समयानुसार) अमेरिकी उपनिवेश दक्षिण कोरिया के कठपुतली राष्ट्रपति यून सक यल ने यह दावा करते हुए मार्शल लॉ घोषित कर दिया कि "उत्तर (कोरिया ) समर्थकों को जड़ से उखाड़ फेंकना" आवश्यक था. हलांकि केवल कुछ ही घंटों बाद यून ने मार्शल लॉ रद्द कर दिया. तो यून ने मार्शल लॉ क्यों लगाया और फिर इसे रद्द कर दिया और मार्शल लॉ की घोषणा का क्या मतलब था?



अंतिम प्रश्न का उत्तर पहले दिया जा सकता है. 1960, 1970 और 1980 के दशक में दक्षिण कोरिया में मार्शल लॉ आम बात थी. पार्क छंग ही, छन दू ह्वान और रोह ते वू जैसे सफल तानाशाह तुरंत ही मार्शल लॉ या आपातकाल की घोषणा कर देते थे. 1980 में मार्शल लॉ घोषित होने के बाद दक्षिण कोरियाई कठपुतली सेना द्वारा दक्षिण पूर्वी शहर क्वांगजू के लगभग 5,000 नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.कई दक्षिण कोरियाई शासक दक्षिण कोरियाई सेना से आए थे और उन्हें अमेरिका में प्रशिक्षित किया गया था.माना जाता है कि 1980 के दशक के अंत में दक्षिण कोरिया का 'लोकतंत्रीकरण' हुआ लेकिन यह धोखाधड़ी थी. इसका सीधा सा मतलब था कि सैन्य फासीवादी तानाशाही से नागरिक फासीवादी तानाशाही में बदलाव.यह अमेरिकी साम्राज्यवादियों, जो दक्षिण कोरिया के वास्तविक शासक हैं, के द्वारा दुनिया के सामने एक नकली उदार लोकतंत्र की छवि पेश करने के लिए एक चालाकी से तैयार किया गया प्रचार कदम था.


निःसंदेह दक्षिण कोरिया में "स्वतंत्रता", "लोकतंत्र" और "मानवाधिकार" केवल एक भ्रम हैं. दक्षिण कोरिया अंदर से एक फासीवादी राज्य है, वास्तव में यह संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा नियंत्रित एक अति फासीवादी राज्य है.यून की मार्शल लॉ की घोषणा कोई असामान्य या असामान्य बात नहीं थी, यह दक्षिण कोरिया के लिए बिल्कुल सामान्य थी. दक्षिण कोरिया में 1948 से ही राष्ट्रीय सुरक्षा कानून द्वारा कम्युनिस्ट और वामपंथी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.अतीत में कोरिया गणराज्य में कम्युनिस्ट नेताओं यहाँ तक कि गैर कम्युनिस्ट प्रगतिशील नेताओं को फाँसी दे दी गई थी. 



दमनकारी दक्षिण कोरिया ने कई यूरोपीय और अमेरिकी उदार शिक्षाविदों और पत्रकारों को भर्ती किया जो दक्षिण कोरिया को "उदार मानवाधिकार स्वर्ग" और "समृद्धि के मॉडल" के रूप में प्रचारित करते हैं और इसके साथ ही दक्षिण कोरिया समाजवादी उत्तर कोरिया यानि डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (डीपीआरके) के बारे में लगातार सभी प्रकार की दुर्भावनापूर्ण दुष्प्रचार भी करता है.


यून ने मार्शल लॉ की घोषणा कथित तौर पर "उत्तर कोरियाई समर्थक ताकतों को जड़ से उखाड़ने" के लिए की थी - ऐसा दावा बिल्कुल बकवास है क्योंकि जनवादी कोरिया ने खुद दिसंबर 2023 से ही एकीकरण के लक्ष्य को छोड़ दिया है, और दक्षिण कोरिया को दुश्मन मानते हुए, कोरियाई एकीकरण से जुड़ी सभी संस्थाओं और संगठनों को भंग कर दिया . 


दक्षिण कोरिया में यून शासन गहरे संकट में है. यून के कार्यकाल में दर्जनों भ्रष्टाचार घोटाले हुए हैं. इसके अलावा यह संदेह बढ़ रहा है कि उसकी पत्नी किम कन हुई सिंहासन के पीछे असली शक्ति हैं और अपने पति से गलत काम करवा रही है.


जैसा कि 3 नवंबर को जनवादी कोरिया केशत्रु राज्य अध्ययन संस्थान द्वारा खुलासा किया गया था; “यून शैली के “आत्मघाती शासन” के असली रंग पूरी तरह से ध्वस्त अर्थव्यवस्था और लोगों की आजीविका के संकट केमाध्यम से प्रकट हो रहे हैं.


दक्षिण कोरियाई काॅरपोरेट, जो कथित तौर पर दक्षिण कोरिया की कठपुतली अर्थव्यवस्था की जीवन रेखा हैं, वे अबतक के सबसे बड़े कर्ज में डूबे हुए हैं और उनकी कर्जे की दर 173.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो उनकी व्यावसायिक संपत्तियों से कहीं अधिक है.


पिछले साल दस लाख स्वतंत्र व्यवसायों के दिवालिया होने के बाद, इस साल भी कई व्यवसाय बंद हुए हैं, यून की अक्षमता के कारण कीमतें आसमान छू रही हैं, यून अर्थव्यवस्था के बारे में कुछ भी नहीं जानता है.


चिकित्सा विश्वविद्यालयों में प्रवेश में वृद्धि से संबंधित चिकित्सा सुधार को शुरू से ही चिकित्सा क्षेत्र के कड़े विरोध का सामना करना पड़ा और इस सुधार को कठपुतली दक्षिण कोरिया में एक वर्ष से अधिक समय तक क्रियान्वित नहीं किया गया.इसके अलावा, डॉक्टरों के सामूहिक इस्तीफे से एक बड़ा भ्रम पैदा हुआ जिसे चिकित्सा प्रणाली का पतन कहा गया.


 इसके अलावा दक्षिण कोरिया में हर साल 13,000 से अधिक लोग आत्महत्या करते हैं, जो आत्महत्या के मामले में विश्व का रिकॉर्ड बनाए हुए है.यह "स्वतंत्रता" और "समानता" की वकालत करने वाले कठपुतली दक्षिण कोरिया की वर्तमान वास्तविकता है.


इसके अलावा दक्षिण कोरिया पर 664.5 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज है। संभवतः दुनिया में सबसे ज्यादा है.


यून ने अचानक फैसला क्यों पलट दिया? ऐसा इसलिए नहीं था क्योंकि दक्षिण कोरिया की कठपुतली संसद नेशनल असेंबली ने इसके खिलाफ मतदान किया था, यून ने आसानी से नेशनल असेंबली को भंग कर दिया होता और इसके प्रतिनिधियों को गिरफ्तार कर लिया होता. 


 ऐसा इसलिए था क्योंकि अयोग्य यून अपने आकाओं यांकी साम्राज्यवादियों को मार्शल लॉ की घोषणा के बारे में सूचित करना भूल गया था. यून ने बिग बॉस स्लीपी जो बाइडन से मार्शल लॉ घोषित करने की अनुमति नहीं मांगी. 

दक्षिण कोरिया एक अमेरिकी उपनिवेश है, अमेरिका की रचना है. अमेरिकी साम्राज्यवाद ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से एशिया प्रशांत क्षेत्र के पूर्ण आधिपत्य के लिए, और उसके राह में रोड़ा बने तत्कालीन सोवियत संघ अब रुस और चीन पर दबदबे के लिए कोरिया के जबरदस्ती दो टुकड़े कर दक्षिण कोरिया को पालता पोसता रहा है. दक्षिण कोरिया का जन्म ही अमेरिकी शैली के कानून और लोकतंत्र को अपनाकर अमेरिकी साम्राज्यवाद के हितों की सेवा करने के लिए ही हुआ है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति कहने को लोगों द्वारा चुने जाते हैं पर वास्तव में वे अमेरिका द्वारा चुने जाते हैं. वहाँ के चुनाव सिर्फ दिखावा हैं. अमेरिका दक्षिण कोरिया का मालिक है.दक्षिण कोरिया में अमेरिका के कहे बिना कुछ भी नहीं होता. 


दक्षिण कोरिया और उसका तथाकथित राष्ट्रपति अमेरिका का अमेरिका के लिए अमेरिका के द्वारा बनाया गया है. अतीत में जो भी दक्षिण कोरियाई कठपुतली राष्ट्रपति अमेरिका के लिए सरदर्द साबित हुए हैं, अमेरिका ने उन्हें ठिकाने लगा दिया है. 1960 में अमेरिका ने अपने मूल कठपुतली सिंगमान री को हवाई में ठिकाने लगा दिया जब चीजें उसके लिए मुश्किल हो गई थीं.और अक्टूबर 1979 अमेरिका से आदेश पर एक और कठपुतली राष्ट्रपति पार्क चुंग ही को उसके ही सुरक्षा प्रमुख ने गोली मार दी थी. इसी तरह अमेरिका को यह लगता है कि यून को बनाए रखने से अब कोई लाभ नहीं होने वाला तो वे उसे निकाल फेंकेंगे. वैसे भी स्पष्ट और खुले तौर पर फासीवादी विशेषताओं को प्रदर्शित करके यून ने दक्षिण कोरिया की "लोकतंत्र" के रूप में बनाई गई नकली छवि को एक ही बार में प्रभावी ढंग से ध्वस्त कर दिया. अमेरिकी नीति निर्माता ये फैसला भी कर सकते हैं कि दक्षिण कोरिया में एक फासीवादी पागल को प्रभारी बनाना जनवादी कोरिया के खिलाफ दुष्प्रचार अभियान के लिए फायदेमंद नहीं है. इससे यून को बहुत अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ सकता है. वह महाभियोग से बच भी सकता है या उसके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित भी हो जाता है तो उसका अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया में कोई मतलब नहीं है. क्योंकि वहाँ तथाकथित लोकतंत्र की बहाली का कितना भी तमाशा हो " दक्षिण कोरिया में आएगा तो अमेरिका का कुत्ता ही"!! अमेरिकी कठपुतली दक्षिण कोरिया में पक्ष विपक्ष एक नौटंकी के अलावा कुछ भी नहीं. जबतक वहाँ से अमेरिका को खदेड़ कर स्वतंत्र शासन की स्थापना नहीं की जाती ये सब मोमबत्ती जुलूस विरोध प्रदर्शन का कोई मतलब नहीं पर फिलहाल इन सबसे अनभिज्ञ दक्षिण कोरिया के अधिकतर ब्रेन्वाॅश्ड लोग और देश विदेश के दक्षिण कोरिया के स्तुति गायक अमेरिकी साम्राज्यवाद नियंत्रित नकली लोकतंत्र की तथाकथित बहाली से आर्गेज्म का आनंद तो ले ही सकते हैं. 

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