जनवादी कोरिया को नहीं है बाहरी सहायता की दरकार!

 

जनवादी कोरिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के बाढ़ की चपेट में आने के बाद काॅमरेड किम जंग उन ने कहा कि "हमने राज्य के मामलों के सभी क्षेत्रों और प्रक्रियाओं में जनता पर दृढ़ विश्वासऔर आत्मनिर्भरता के आधार पर समस्याओं से पूरी तरह निपटने के रास्ते को प्राथमिकता दी है.  पार्टी केंद्रीय समिति और सरकार चल रहे पुनर्वास  कार्यक्रम में भी पूरी तरह से हमारे लोगों के देशभक्तिपूर्ण उत्साह और साहस और हमारे देश की क्षमताओं पर भरोसा करेगी."

इस प्रकार जनवादी कोरिया आत्मनिर्भरता के सिद्धांत के द्वारा अपने प्रयासों से ही बाढ़ से हुई क्षति पर काबू पा रहा है

 .हालाँकि पश्चिमी मुख्यधारा मीडिया और तथाकथित "उत्तर कोरिया विशेषज्ञों" (जिन्हें वास्तव में सीआईए या दक्षिण कोरिया या दोनों द्वारा पाला जाता है) द्वारा इसकी आलोचना की जा रही है.यहाँ तक कि "भुखमरी" के भी दावे किये जा रहे हैं। बेशक 'भुखमरी' एक मिथक है, अगर आपने इस तथाकथित मुख्यधारा के मीडिया  की खबरों को गंभीरता से लिया होता तो अब तक जनवादी कोरिया की पूरी आबादी एक बार नहीं बल्कि चार या पांच बार भूख से मर चुकी होती. वैसे जनवादी कोरिया के  1990 के दशक का तथाकथित "अकाल" एक मिथक था, उस अवधि के दौरान जनवादी कोरिया की जनसंख्या वास्तव में बढ़ गई थी. जनवादी कोरिया से रत्ती भर भी सहानुभूति नहीं रखने‌ वाले विश्व बैंक के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं. यही नहीं जनवादी कोरिया में उस दौर में  फ्यंगयांग- ह्यांगसान के बीच 172 किलोमीटर लंबा हाइवे, फ्यंगयांग में पार्टी स्थापना की विशालकाय प्रतिकृति और उसके आस पास कुछ आवासीय इलाके, पुल और सुरंगें,  8 लाख 10 हजार किलोवाट की क्षमता वाले दुनिया के विशालकाय बिजलीघरों में से एक आनब्यन बिजलीघर का निर्माण, पूर्ण रूप से स्वदेश निर्मित क्वांगम्यंगसंग -1 नामक उपग्रह का  सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था. क्या यह सब गंभीरतम भुखमरी और अकाल से जूझ रहे देश के द्वारा किया जा सकता है?इसके अलावा जनवादी कोरिया में उस दौर में भी नए अस्पताल और स्कूल बनाना जारी रखा था. इन सब में बाहरी सहायता का एक धेला तक भी नहीं लगा था.


जनवादी कोरिया को अमेरिका और अन्य साम्राज्यवादियों या उनके पालतू दक्षिण कोरिया (जो विदेशी सहायता, विदेशी व्यापार या विदेशी निवेश के बिना एक दिन भी जीवित रहने में असमर्थ है) की तथाकथित "सहायता" की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह आत्मनिर्भर है और एक स्वतंत्र राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था है. आत्मनिर्भरता सिर्फ एक नारा नहीं है बल्कि एक वैज्ञानिक दर्शन और मार्गदर्शक विचार पर आधारित एक सुसंगत रणनीति है, जूछे विचार जो काॅमरेड किम इल संग द्वारा लिखा गया था और काॅमरेड किम जंग इल के द्वारा गहराई से विकसित किया गया था.

जनवादी कोरिया के बारे में कई मिथकों में से एक यह है कि यह "सोवियत सहायता पर निर्भर" था या सोवियत सहायता द्वारा बनाया गया था, लेकिन 1960 के दशक की शुरुआत में जनवादी कोरिया सोवियत संघ के  बड़ी शक्ति के पूजकों ( Big power chauvinists)और संशोधनवादियों के भारी दबाव में आ गया, जिन्होंने 1962 में जनवादी कोरिया के साथ परस्पर सहयोग को निलंबित कर दिया. 

इस पर राष्ट्रपति काॅमरेड  किम इल संग ने अक्टूबर 1962 में कहा, “यह सच नहीं है कि हम सहायता के बिना नहीं रह सकते. हम न केवल सहायता के बिना भी अपनी इच्छानुसार जीवन जी सकते हैं, बल्कि शानदार ढंग से समाजवाद का निर्माण भी कर सकते हैं, और निश्चित रूप से ऐसा करना चाहिए.”बाद में उन्होंने संशोधनवादियों के बेतुके तर्क का उल्लेख किया जो दावा करते हैं कि बाहरी सहायता के बिना समाजवाद का निर्माण नहीं किया जा सकता है.

प्रतिबंधों और नाकाबंदी के बावजूद जनवादी कोरिया ने शानदार ढंग से समाजवाद का निर्माण किया. 1946 और 1984 के बीच जनवादी कोरिया में औद्योगिक उत्पादन मूल्य 431 गुना बढ़ गया. इसी अवधि में प्रति व्यक्ति राष्ट्रीय आय 65 गुना बढ़ गई। अनाज उत्पादन 5.3 गुना बढ़ गया। 1950 के दशक के उत्तरार्ध में छल्लीमा उभार (Chollima Upsurge )[छल्लीमा कोरिया का एक मिथकीय उड़ने वाला घोड़ा है जो एक दिन में लंबी दूरी तय कर सकता है] की अवधि के दौरान औद्योगिक उत्पादन वृद्धि एक वर्ष में 40 प्रतिशत तक पहुंच गई. 

इसने प्रसिद्ध कैम्ब्रिज अर्थशास्त्री प्रोफेसर जोन वी रॉबिन्सन को जनवादी कोरिया को "कोरियाई चमत्कार" के रूप में वर्णित करने के लिए प्रेरित किया.

हाल के वर्षों में जनवादी कोरिया ने जनवरी 2020 में वैश्विक महामारी के कारण अपनी सीमाएं बंद कर दीं और 3 साल से अधिक समय तक अपनी सीमाएं बंद रखीं, कुछ देश अपनी सीमाओं को इस तरह बंद करने के कुछ ही दिनों के भीतर ढह गए होते लेकिन जनवादी कोरिया नहीं ढहा. इसके अलावा जब 2022 के वसंत में दक्षिण कोरियाई कठपुतलियों द्वारा जनवादी कोरिया में कोविड 19 का वायरस भेजा गया, तो जनवादी कोरिया ने साम्राज्यवादी और दक्षिण कोरियाई कठपुतली सहायता को अस्वीकार कर दिया.

जो लोग दावा करते हैं कि जनवादी कोरिया को बड़े पैमाने पर बाहरी सहायता की आवश्यकता है, वे इस तथ्य से अनजान हैं कि जनवादी कोरिया अत्यधिक आत्मनिर्भर है. इसके सकल घरेलू उत्पाद का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही विदेशी व्यापार से आता है, जबकि दक्षिण कोरिया काफी हद तक विदेशी व्यापार पर निर्भर है. स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के एक ब्रिटिश अकादमिक डॉ. मैल्कम कैल्डवेल ने एक बार लिखा था, ''यह स्पष्ट है कि, बड़े पैमाने पर ऋण, अमेरिकी सैन्य समर्थन और अंतरराष्ट्रीय पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में एकीकरण से वंचित रहने पर दक्षिण कोरिया ढह जाएगा, जबकि- जूछे द्वारा संचालित जनवादी कोरिया अनिश्चित काल तक स्वतंत्र रह सकता है. (Malcolm Caldwell , ‘The Wealth of Some Nations ‘ 1977 पृष्ठ 162).



इसके अलावा जो लोग कहते हैं कि जनवादी कोरिया को विदेशी सहायता स्वीकार करनी चाहिए, उनका एक छिपा हुआ एजेंडा है. साम्राज्यवादी देशों से सहायता एक जहरीली कैंडी के समान है जिसका उपयोग समाजवाद को नष्ट करने के लिए किया जाता है. इसके अलावा साम्राज्यवादी देशों से सहायता वास्तव में साम्राज्यवाद को लाभ पहुंचाती है क्योंकि यह कुछ शर्तों के साथ आती है, आमतौर पर इसका मतलब है कि प्राप्तकर्ता देश को दाता देश से महंगा सामान खरीदना पड़ता है.

जनवादी कोरिया साम्राज्यवादी सहायता के बिना सौ गुना  हज़ार गुना बेहतर है!

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