काॅमरेड किम जंग उन की रुस यात्रा के मायने
जनवादी कोरिया के स्टेट अफेयर्स कमीशन के चेयरमैन, वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया के जेनरल सेक्रेट्री काॅमरेड किम जंग उन की 12 सितम्बर 2023 से 17 सितम्बर 2023 तक 6 दिवसीय रुस की राजकीय यात्रा इस साल की प्रमुख अंतरराष्ट्रीय घटना रही. 13 सितम्बर 2023 को रुस के आमूर ओब्लास्त (राज्य) स्थित वोस्तोचनई अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र (Vostochny Cosmodrome) में काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच शिखर वार्ता हुई.इस शिखर वार्ता के एक दिन पहले ही यानि 12 सितम्बर की रात राष्ट्रपति पुतिन वोस्तोचनई कोस्मोड्रोम पहुँच गए थे और काॅमरेड किम जंग उन को दिखाए जाने वाले कोस्मोड्रोम के विभिन्न स्थानों की सघन जाॅंच की . क्या राष्ट्रपति पुतिन जनवादी कोरिया के प्रमुख काॅमरेड किम जंग उन के अलावा किसी और देश के प्रमुख के साथ शिखर वार्ता की तैयारी के लिए देर रात तक इस तरह शिखर वार्ता की जगह की सघन जाॅंच की है?
राष्ट्रपति पुतिन ने पत्रकारों के सवालों का जबाब देते हुए यह भी कहा कि काॅमरेड किम जंग उन के साथ सभी मुद्दों पर बातचीत होगी और इस शिखर वार्ता को लेकर उनका मन प्रफुल्लित है.
जनवादी कोरिया और रुस की इस दो दिवसीय शिखर वार्ता की खास बात यह रही कि राष्ट्रपति पुतिन ने शिखर वार्ता के स्थान पर पहले पहुँच कर काॅमरेड किम जंग उन का इंतजार किया. यह वही पुतिन हैं जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ मिलते वक्त शिखर वार्ता के स्थान पर देर से पहुँचने के लिए जाने जाते हैं. उदाहरण के लिए 2018 में पुतिन जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे से मिलने वार्ता स्थल पर 2 घंटे 30 मिनट की देरी से पहुंचे. वहीं पुतिन 2014 में जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से मिलने 4 घंटे 15 मिनट की देरी से पहुंचे और 2018 में पुतिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिलने एक घंटे की देरी से और 2016 और 2019 में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति से मिलने क्रमशः 1 घंटे 45 मिनट और 2 घंटे की देरी से पहुंचे (कोई अपने वाले का भी बताओ भाई). कूटनीतिक हलकों में इस तरह तय समय से देरी से आने को अपने समकक्ष पर श्रेष्ठता जताने की रणनीति कहते हैं.
पर यही पुतिन काॅमरेड किम जंग उन के साथ मुलाकात में सम्मानजनक रवैया दिखलाते हैं. 25 अप्रैल 2019 को रुस के व्लादीवोस्तोक में काॅमरेड किम जंग उन के साथ शिखर वार्ता के लिए पुतिन पहले ही वार्ता स्थल पर पहुंचे थे और इस बार भी वार्ता के तय समय के 30 मिनट पहले ही वार्ता स्थल पर पहुँच कर काॅमरेड किम जंग उन का सम्मानपूर्वक इंतजार कर रहे थे.
यह उन लोगों के लिए पूरी तरह से अप्रत्याशित हो सकता है जो केवल काॅरपोरेटी मीडिया रिपोर्टों को देखते सुनते रहते हैं जो काॅमरेड किम जंग उन की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कमजोर करने के लिए सभी प्रकार की बकवास फैलाते हैं. उपर वर्णित तथ्यों को देखने से स्पष्ट है कि हमेशा शिखर वार्ता के लिए नियमित रूप से देरी से पहुंचने वाले पुतिन का काॅमरेड किम जंग उन से मिलने तय समय से पहले पहुँच कर इंतजार करने का मतलब काॅमरेड किम जंग उन की अहमियत और उनकी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिष्ठा को ही दर्शाता है. सभी जानते हैं कि रुस और उसके राष्ट्रपति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई चूंचूं का मुरब्बा नहीं हैं.
काॅमरेड किम जंग उन की ट्रेन बुधवार, 13 सितंबर, 2023 को दोपहर लगभग 1:00 बजे वोस्तोचनई कोस्मोड्रोम के पास के स्टेशन में दाखिल हुई. काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन, जो 4 साल और 5 महीने के बाद फिर से मिले, 40 सेकंड के लिए गर्मजोशी से एक दूसरे का हाथ पकड़े रहे.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन के बीच "एक अच्छा पुनर्मिलन हुआ और सौहार्दपूर्ण अभिवादन का आदान-प्रदान हुआ."
पुतिन ने काॅमरेड किम जंग उन से कहा, ''आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई. यह हमारा नया अंतरिक्ष केंद्र है. मैं आपको ये दिखाना चाहता हूं. पुतिन ने फिर पूछा, "यहां तक आने में कोई तकलीफ तो नहीं हुई?" काॅमरेड किम जंग उन ने जवाब दिया, "अपने व्यस्त कार्यक्रम के बावजूद मुझे आमंत्रित करने के लिए धन्यवाद।" राष्ट्रपति पुतिन ने कहा, "इस साल का विशेष महत्व है क्योंकि यह जनवादी कोरिया की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ, अमेरिका के विरुद्ध जीत की 70वीं वर्षगांठ और जनवादी कोरिया और रूस के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ का साल है."
काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने लगभग एक घंटे तक वोस्तोचनई कोस्मोड्रोम का एक साथ दौरा किया. वोस्तोचनई कोस्मोड्रोम एक राष्ट्रीय रणनीतिक आधार है जो रूस की व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को दर्शाता है, जिसमें 400 से अधिक विभिन्न सुविधाएं हैं.
काॅमरेड किम जंग उन ने 'सोयुज-2' और 'अंगारा' सहित अत्याधुनिक परिवहन रॉकेटों की तकनीकी विशेषताओं और असेंबली और प्रक्षेपण प्रक्रिया , अंतरिक्ष प्रक्षेपण स्थल के निर्माण और संचालन, अंतरिक्ष क्षेत्र में रूस की उपलब्धियों और अनुभवों और विकास की संभावनाओं पर टिप्पणी सुनी. रूसी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनकी टिप्पणी सुनने के दौरान, काॅमरेड किम जंग उन ने परिवहन रॉकेट के ईंधन और विशेषताओं, परिवहन रॉकेट के प्रणोदन सिद्धांत और परिवहन रॉकेट के पृथक्करण स्थान के बारे में "कई प्रश्न" पूछे और महत्वपूर्ण जानकारियों को अपनी नोटबुक में लिखा. जब महासचिव किम जंग उन परिवहन रॉकेटों के बारे में बातचीत कर रहे थे, तो राष्ट्रपति पुतिन, जो पास में सुन रहे थे, आश्चर्यचकित थे कि काॅमरेड किम जंग उन को परिवहन रॉकेटों पर व्यापक ज्ञान था और उन्होंने काॅमरेड किम जंग उन को यहाँ तक कह डाला कि "आप तो एक विशेषज्ञ हैं."
13 सितंबर, 2023 को दोपहर लगभग 2:30 बजे, काॅमरेड किम जंंग उन और राष्ट्रपति पुतिन के बीच वोस्तोचनई कॉस्मोड्रोम के मैदान में स्थापित सम्मेलन हॉल में शिखर बैठक शुरू हुई. जनवादी कोरिया और रूसी प्रतिनिधिमंडलों की पूर्ण बैठक 1 घंटे 30 मिनट तक चली, काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन के बीच एकल बैठक 30 मिनट तक चली और रात्रिभोज 2 घंटे तक चला. मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, "बातचीत पूरे सौहार्दपूर्ण और रचनात्मक माहौल में आयोजित की गई."
जैसा कि मीडिया रिपोर्टों से ज्ञात हुआ, इस जनवादी कोरिया- रुस शिखर सम्मेलन ने कोरियाई प्रायद्वीप और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में भारी हलचल पैदा कर दी और स्थिति में भारी बदलाव आया.परिवर्तन का प्रभाव इतना तीव्र था कि व्हाइट हाउस बेचैन था और शिखर सम्मेलन में काॅमरेड किम जंग उन के हर शब्द और कार्रवाई पर बहुत संवेदनशील तरीके से प्रतिक्रिया दे रहा था. और सियोल और टोक्यो में क्रमशः अमेरिकी समर्थक दक्षिणपंथी यून सक-यल और किशिदा सरकारों की हालत काटो तो खून नहीं के समान ही थी.
पीछे मुड़कर देखें तो 21 मार्च 2023 को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और राष्ट्रपति पुतिन के बीच मॉस्को में आयोजित रुस- चीन शिखर सम्मेलन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का ध्यान आकर्षित किया लेकिन कोई हलचल नहीं हुई, लेकिन जनवादी कोरिया- रुस शिखर बैठक अभूतपूर्व थी. इस शिखर सम्मेलन ने इतनी बड़ी हलचल क्यों पैदा की? इस प्रश्न को हल करके ही हम जनवादी कोरिया- रुस शिखर सम्मेलन के अर्थ को सटीक रूप से समझ सकते हैं.
यह शिखर बैठक बंद दरवाजों के पीछे आयोजित की गई, शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित नहीं की गई, और कोई संयुक्त घोषणा या समझौते की घोषणा नहीं की गई. काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन केवल मौखिक समझौते पर पहुंचे. इन परिस्थितियों के कारण, बाहरी दुनिया के लिए यह जानना असंभव है कि काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने इस शिखर सम्मेलन में क्या चर्चा की और क्या सहमति व्यक्त की, और काॅरपोरेटी मीडिया आउटलेट्स द्वारा की गई अटकलें और विकृतियां तो अंतहीन हैं हीं.
यह स्पष्ट था कि इस शिखर सम्मेलन में, काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने दोनों देशों के बीच राजनीति, कूटनीति, सैन्य, अर्थव्यवस्था, विज्ञान ,प्रौद्योगिकी, और सामाजिक संस्कृति के क्षेत्र में पहले की तुलना में अधिक करीब और अधिक व्यापक रूप से बातचीत की और यह स्पष्ट था कि सहयोग के मुद्दों पर चर्चा की गई और सहमति व्यक्त की गई और इसपर "वहां एकमत राय थी." जनवादी कोरिया की मीडिया के मुताबिक काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने " एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण, राष्ट्रीय पुनरुत्थान के रणनीतिक लक्ष्यों को साकार करने के लिए राजनीति, अर्थव्यवस्था, सेना और संस्कृति के सभी पहलुओं में हासिल की जा रही उल्लेखनीय उपलब्धियों और रचनात्मक सहयोग के अनुभवों के लिए आभार व्यक्त किया. दोनों नेताओं ने " दोनों देशों के लोगों का कल्याण के लिए विकास के भविष्य की दिशा पर गहन राय साझा की.इसके अलावा, दोनों नेताओं ने मानवता की स्वतंत्रता, प्रगति और शांतिपूर्ण जीवन पर आक्रमण करने की कोशिश करने वाले साम्राज्यवादियों की सैन्य धमकियों, उकसावों और अत्याचार को कुचलने के लिए एक संयुक्त मोर्चे के तहत दोनों देश घनिष्ठ और मजबूत रणनीतिक और सामरिक सहयोग का समर्थन करने और मजबूत करने और देश की संप्रभुता और विकास हितों, क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और सुरक्षा, और अंतर्राष्ट्रीय न्याय की रक्षा में उत्पन्न होने वाले तत्काल सहयोग के महत्वपूर्ण मुद्दों और मामलों पर खुलकर चर्चा की, और एक संतोषजनक समझौते और आम सहमति पर पहुंचे." इससे दो बातें साफ होती हैं कि दोनों नेताओं ने जनवादी कोरिया और रूस के बीच संयुक्त साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के कार्य पर चर्चा की और सहमति व्यक्त की. और यूक्रेन युद्ध और इससे संबंधित सहयोग के विशिष्ट मामलों पर सहमति व्यक्त की.
काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने इस शिखर सम्मेलन के एजेंडे पर लिखित रूप से नहीं बल्कि मौखिक रूप से निर्णय लिया, यह दर्शाता है कि वे मौखिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दों पर सहमत हुए, जिन्हें दुनिया के सामने प्रकट नहीं किया जा सकता है। दूसरे शब्दों में, जनवादी कोरिया और रूस द्वारा संयुक्त साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष के कार्यों को अंजाम देने और यूक्रेन में युद्ध का संयुक्त रूप से जवाब देने के मुद्दे अत्यंत संवेदनशील मुद्दे हैं जिन्हें दुनिया के सामने प्रकट नहीं किया जा सकता है, इसलिए यह स्पष्ट है कि इन पर निर्णय लिया गया था बिना दस्तावेज़ीकरण के मौखिक समझौते के माध्यम से.
शिखर सम्मेलन में अपनी समापन टिप्पणी में,
काॅमरेड किम जंग उन ने कहा, "इस समय, हमारी विदेश नीति में जनवादी कोरिया-रुस संबंधों को सर्वोच्च प्राथमिकता देना और उन्हें विकसित करना हमारी सरकार का दृढ़ रुख है. रूस को साम्राज्यवादी शक्तियों के खिलाफ अपनी संप्रभुता की रक्षा करनी चाहिए. अब जब हम रूस और उसकी सुरक्षा की रक्षा के लिए एक उचित युद्ध लड़ रहे हैं, तो हमने रूसी सरकार और महामहिम द्वारा उठाए गए सभी उपायों के लिए अपना बिना शर्त समर्थन लगातार व्यक्त किया है और हम भविष्य में साम्राज्यवाद विरोधी और स्वतंत्रता के मोर्चे पर हमेशा रूस के साथ खड़े रहेंगे".
शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद एक रात्रिभोज भाषण में, काॅमरेड किम जंग उन ने कहा, "हमें विश्वास है कि रूसी सेना और जनता निश्चित रूप से आधिपत्य और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का पालन करने वाले दुष्ट समूहों को दंडित करने और न्याय के युद्ध में एक बड़ी जीत हासिल करेंगे।. " उन्होंने आगे कहा, "मुझे विश्वास है कि वीर रूसी सेना और जनता शानदार ढंग से जीत की परंपरा को आगे बढ़ाएंगे और विशेष सैन्य अभियान (यूक्रेन युद्ध) और एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण के दोनों मोर्चों पर असीम मूल्यवान सम्मान और उपलब्धियां हासिल करेंगे."
अपने रात्रिभोज भाषण में काॅमरेड किम जंग उन द्वारा उल्लिखित "आधिपत्य और विस्तारवादी महत्वाकांक्षाओं का पीछा करने वाला दुष्ट समूह" अमेरिकी साम्राज्य के तले लामबंद साम्राज्यवादी ताकतों को संदर्भित करता है.स्पष्ट रूप से कहें तो, यह सात देशों का साम्राज्यवादी गठबंधन है, जिसका प्रमुख संयुक्त राज्य अमेरिका है और ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, कनाडा और जापान तथाकथित सात देशों के समूह (जी7) के तहत एकजुट हैं. अमेरिकी साम्राज्य, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान असाधारण रूप से आपराधिक देश थे जिन्होंने अतीत में पूरी दुनिया में क्रूरतापूर्वक आक्रामकता, नरसंहार, औपनिवेशिक शासन और संसाधन लूट के युद्ध किए थे, और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अमेरिका के नेतृत्व में एक साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन में तब्दील हो गया है, और लगातार यूरोप, एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में युद्ध की धमकियों, बलपूर्वक उकसावे और अवैध जबरदस्ती और प्रभुत्व को अंजाम दे रहा है.
उल्लेखनीय तथ्य यह है कि काॅमरेड किम जंग उन ने स्पष्ट रूप से घोषणा की कि जनवादी कोरिया साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन को दंडित करने के लिए 'न्यायसंगत लड़ाई' में रूस के साथ एकजुटता से खड़ा होगा, और राष्ट्रपति पुतिन ने सक्रिय रूप से इसका समर्थन किया. साम्राज्यवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष करने की दृढ़ इच्छाशक्ति वह आश्चर्यजनक अंतर है जो 13 सितंबर के जनवादी कोरिया-रुस शिखर सम्मेलन और 21 मार्च के रुस- चीन शिखर सम्मेलन की तुलना करने पर सामने आता है.21 मार्च को चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रुस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई शिखर बैठक में साम्राज्यवाद के खिलाफ संयुक्त संघर्ष करने की इच्छा बहुत स्पष्ट रूप से नहीं कही गई थी। बैठक में, रुस और चीन ने कहा कि वे "संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा अधिकृत नहीं किए गए सभी प्रकार के स्वतंत्र प्रतिबंधों का विरोध करते हैं" और "कोई भी देश या समूह सैन्य, राजनीतिक या अन्य श्रेष्ठता को बढ़ावा देने के लिए दूसरे देश के उचित सुरक्षा हितों का उल्लंघन नहीं कर सकता है." यहाँ केवल इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन "रूसी संघ को नुकसान का विरोध करने" की रूस की स्थिति का समर्थन करता है और चीन "यूक्रेन में स्थिति को हल करने के लिए जल्द से जल्द शांति वार्ता आयोजित करने का समर्थन करता है" इसके विपरीत, इस शिखर बैठक में काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन ने साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन को दंडित करने के लिए संयुक्त साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष में एकजुटता से खड़े होने का इरादा जताया.
पीछे मुड़कर देखें तो कोरिया जनवादी लोकतांत्रिक गणराज्य ने 26 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ के विघटन के बाद से 30 वर्षों तक साम्राज्यवाद विरोधी और स्वतंत्र मोर्चा बनाए रखा है और अमेरिकी साम्राज्य के खिलाफ अकेले लड़ाई लड़ी है। अतीत में, रूस और चीन साम्राज्यवाद-विरोधी और स्वतंत्र लाइन से भटक गए और खुद को अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व वाले सात देशों के साम्राज्यवादी गठबंधन के साथ जोड़ लिया और ''शांतिपूर्ण विकास' और 'सामान्य हितों' के बारे में बकवास बात की और तटस्थता बनाए रखी और इसमें साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष को शामिल नहीं किया गया. उस समय, केवल जनवादी कोरिया ने अपना स्वतंत्र साम्राज्यवाद-विरोधी मोर्चा बनाए रखा और अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व वाले साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन के खिलाफ दृढ़ता से लड़ाई लड़ी. जब जनवादी कोरिया, जो अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व वाले साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन के खिलाफ अकेले लड़ रहा था, और उसने परमाणु हथियार विकसित किए और अपनी साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष क्षमताओं को निर्णायक रूप से मजबूत किया, तब चीन और रूस, जो साम्राज्यवाद-विरोधी और स्वतंत्र लाइन से भटक गए और तटस्थता पर कायम रहे जिसमें साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष को शामिल नहीं किया गया था, उन दोनों देशों ने सात साम्राज्यवादी देशों के गठबंधन के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का समर्थन किया था जिसने जनवादी कोरिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाए थे.
हलांकि उसी रुस ने 24 फरवरी, 2022 को अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व वाले साम्राज्यवादी देशों के गठबंधन के खिलाफ एक उचित युद्ध शुरू किया. यदि आप सतही तौर पर देखें, तो यूक्रेन युद्ध रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण प्रतीत होता है, लेकिन यदि आप उसके सार को देखें जो सतह पर प्रकट नहीं होता है, तो यह युद्ध न्याय का युद्ध है. रूस, जो पहले साम्राज्यवाद-विरोधी और स्वतंत्र लाइन से अलग हो गया था, अब साम्राज्यवाद-विरोधी और स्वतंत्र मोर्चे पर लौट आया. रूस अब जिस दुश्मन के खिलाफ लड़ रहा है, वह ज़ेलिंस्की का अमेरिका समर्थक दक्षिणपंथी शासन नहीं है, बल्कि अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व में साम्राज्यवादी सात देशों का गठबंधन है, जो रूस पर बलपूर्वक आक्रमण करने की अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए ज़ेलिंस्की शासन को एक कठपुतली के रूप में उपयोग करता है.
यूक्रेन युद्ध में साम्राज्यवाद-विरोधी, स्वतंत्र मोर्चे पर लौटना कितना कठिन था, इस अनुभव से रूस ने एक खूनी सबक सीखा.ऐसे अनुभवों और पाठों का दस्तावेजीकरण 31 मार्च, 2023 को रूसी विदेश मंत्रालय द्वारा प्रकाशित 'रूसी संघ की विदेश नीति अवधारणा' नामक एक नीति दस्तावेज है.इस वृहत नीति दस्तावेज़ को राष्ट्रपति पुतिन की डिक्री संख्या 229 द्वारा अनुमोदित किया गया था.रूसी विदेश मंत्रालय ने इस नीति दस्तावेज़ में अपनी नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति का वर्णन किया है. इस नीति दस्तावेज़ में वर्णित नई राष्ट्रीय रणनीतियों में, "वैश्विक स्तर पर संयुक्त राज्य अमेरिका और अमित्र देशों के प्रभुत्व के निशान हटाने और नव-औपनिवेशिक या आधिपत्यवादी महत्वाकांक्षाओं (neo-colonial or hegemonic ambitions) को खारिज करने" की शर्त उल्लेखनीय है.इसे रूस की विदेश नीति के एक हिस्से के रूप में प्रस्तुत किया गया था. इसके अतिरिक्त, इस नीति दस्तावेज़ में कहा गया है, "हम एक संप्रभु राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप जिसका उद्देश्य घरेलू राजनीतिक स्थिति को जटिल बनाना, असंवैधानिक शासन परिवर्तन करना या देश की क्षेत्रीय अखंडता को कमजोर करना है उसका विरोध करने के लिए राजनीतिक और राजनयिक उपाय करेंगे". और "सैन्य क्षेत्र में विश्व प्रभुत्व प्राप्त करने के लिए कुछ देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा किए गए प्रयासों को बेअसर करने के लिए सहयोग करेंगे".
इस विदेश नीति दस्तावेज से स्पष्ट है कि रुस ने अमेरिकी साम्राज्य के नेतृत्व वाले साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन के साथ अपने अतीत के जुड़ाव को समाप्त कर दिया और साम्राज्यवाद विरोधी स्वतंत्र मोर्चे में वापस लौट आया.
इस शिखर सम्मेलन में काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन का एक दूसरे का हाथ कसकर पकड़े रहना इस बात का प्रतीक था कि दोनों परमाणु शक्तियां प्रगतिशील मानवता के आम दुश्मन साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन के खिलाफ संयुक्त साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष में एकजुटता से खड़े होने के लिए सहमत हैं. काॅमरेड किम जंग उन और राष्ट्रपति पुतिन के बीच यह शिखर बैठक विश्व राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण होने जा रही है.
20 सितम्बर 2023 को काॅमरेड किम जंग उन के देश लौटने के बाद वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की 8 वीं सेंट्रल कमिटी की 16 वीं पोलिट ब्यूरो बैठक हुई जिसमें काॅमरेड किम जंग उन की रुस यात्रा के नतीजों पर चर्चा की गई.
बैठक में महासचिव काॅमरेड किम जंग उन, वर्कर्स पार्टी की सेंट्रल कमिटी के पोलिट ब्यूरो के स्थायी समिति के सदस्य, सदस्य और वैकल्पिक सदस्य शामिल हुए.
सबसे पहले, सेंट्रल कमिटी के डायरेक्टर काॅमरेड किम संग नाम ने काॅमरेड किम जंग उन की रूस यात्रा के परिणामों पर रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में, यह कहा गया कि "इस यात्रा के माध्यम से, जनवादी कोरिया-रूस संबंध एक नए युग की मांगों के मुताबिक एक नई रणनीतिक ऊंचाई पर पहुंच गए, और विश्व राजनीतिक परिदृश्य में एक बुनियादी बदलाव आया.
सेंट्रल कमिटी के पोलिट ब्यूरो ने जेनरल सेक्रेट्री
काॅमरेड किम जंग उन की रूस यात्रा के परिणामों का 'उच्च मूल्यांकन' किया, और काॅमरेड किम जंग उन ने इसके लिए 'गहरा आभार' व्यक्त किया, जिससे उत्तर कोरिया और रूस के बीच अच्छे पड़ोसी सहयोग के पारंपरिक बंधन मजबूत हुए.
काॅमरेड किम जंग उन ने जोर देकर कहा कि इस यात्रा से दोनों देशों के बीच सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को पुनर्जीवित करने, उन्हें एक नए उच्च स्तर पर आगे बढ़ाने के उपाय किए गए हैं और इससे दोनों देशों के लोगों के कल्याण में सुधार लाने में महत्वपूर्ण योगदान मिलना चाहिए.
उधर 23 सितम्बर 2023 को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अपना मुख्य भाषण समाप्त करने के बाद यह कहा,कि “ चेयरमैन किम जंग उन और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच सहमति के अनुसार, अगले महीने जनवादी कोरिया की राजधानी फ्यंगयांग में दोनों देशों के बीच एक शिखर बैठक का आयोजन किया जाएगा ". इसके पहले 14 सितम्बर को राष्ट्रपति पुतिन ने काॅमरेड किम जंग उन के जनवादी कोरिया की राजकीय यात्रा के निमंत्रण को "सहजता से स्वीकार" किया.
जनवादी कोरिया और रूस का संयुक्त साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष कोई भविष्य की बात नहीं बल्कि निरंतर चलने वाला संघर्ष है.संयुक्त साम्राज्यवाद-विरोधी संघर्ष का झंडा बुलंद करने वाली दो परमाणु शक्तियों के बीच घनिष्ठ मित्रता प्रगतिशील मानवता को जीत का विश्वास दिलाने वाली और साम्राज्यवादी सात देशों के गठबंधन में चिंता और भय पैदा करने वाली है.
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