जनवादी कोरिया की लोकतांत्रिक पद्धति

 अक्सर काॅरपोरेट जीवी तथाकथित मुख्यधारा की मीडिया और रिसर्च सेंटर के द्वारा जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया) को लोकतंत्र की कब्रगाह, तानाशाही उत्तराधिकार और ब्रेनवाश्ड लोगों वाले अत्यंत गरीब मुल्क के रूप में पूरी दुनिया में प्रचारित किया जाता है. इतना ही नहीं इनके द्वारा हर साल एक तथाकथित 'डेमोक्रेसी इंडेक्स "(Democracy Index) जारी किया जाता है. इस बार 167 देशों में जनवादी कोरिया की " डेमोक्रेसी " रैंकिंग 165 है और ये डेमोक्रेसी वाले इस बात से हैरान हैं कि जनवादी कोरिया की रैंकिंग सबसे नीचे यानि 167 क्यों नहीं है.

जनवादी कोरिया में सरकार द्वारा मुफ्त में घर दिए जाते हैं. शिक्षा और इलाज भी मुफ्त है और सबसे बड़ी बात इन सबके लिए जनता से किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं लिया जाता है. वहाँ के शासन का दर्शन ही है कि "जनता ही मालिक है" ( 이민위천) "हम जनता की सेवा करते हैं ( 인민을 위하여 복무함)और यह दर्शन वहाँ के सर्वोच्च स्तर के नेताओं से लेकर निचले स्तर तक रग रग में है और यह दिखाई भी देता है. उस देश की " डेमोक्रेसी " की रैंकिंग लगभग निम्नतम होना लोगों के दिमाग में संशय पैदा करना चाहिए पर जनवादी कोरिया के बारे में यहूदी और ऐंग्लो सैक्सन पूंजी द्वारा संचालित इन्हीं प्रचार माध्यमों या तथाकथित रिसर्च सेंटरों द्वारा लोगों का बुरी तरह से ब्रेनवाश कर दिया गया है. इन यहूदी और ऐंग्लो सैक्सन ताकतों की दूसरे विश्वयुद्ध के बाद हुए 90% से अधिक युद्धों में संलिप्तता रही है. फूट डालने, युद्ध भड़काने ,आक्रमण करने और लूटपाट करने वाले अमेरिकी और पश्चिमी साम्राज्यवाद के पीछे यही पूंजी की शक्तियां हैं. इनके पास बेहिसाब लूटपाट से अर्जित अथाह पूंजी के होने से ये दुनिया भर की राजनीति, अर्थव्यवस्था, सेना और खासकर मीडिया और शिक्षा को आसानी से अपने समर्थन में ले लेते हैं और दुनिया भर में अपना दबदबा रखते हैं. ये जैसे चाहें लोगों का ब्रेनवाश कर सकते हैं.

जनवादी कोरिया की जो भी खबरें इनके द्वारा संचालित प्रचार माध्यमों से आती है, उसे उल्टा ही समझिए. इस डेमोक्रेसी रैंकिंग में पहले स्थान वाले पूंजीवादी देश नार्वे की तुलना में जनवादी कोरिया बेशक जनता के द्वारा जनता का ही देश है.

जनवादी कोरिया में बुर्जुआ लोकतंत्र या " लिबरल डेमोक्रेसी " से चुनाव की भिन्न पद्धति होने के चलते उसे गैर लोकतांत्रिक समझना ठीक नहीं है. जनवादी कोरिया का सर्वोच्च नेता कोरियाई क्रांति की विरासत को आगे बढ़ाने वाला व्यक्ति है और बुर्जुआजी दृष्टिकोण से समझा जाने वाला तानाशाह तो बिल्कुल ही नहीं है.

आइए जानते हैं जनवादी कोरिया की लोकतांत्रिक पद्धति के बारे में

जनवादी कोरिया के समाजवादी संविधान की धारा 66 के अनुसार जनवादी कोरिया के 17 वर्ष या उससे उपर के नागरिकों को लिंग, राष्ट्रीयता, पेशा, निवास की अवधि, संपत्ति, राजनीतिक दल, राजनीतिक मत, धार्मिक विश्वास इत्यादि पर आधारित बिना किसी भेदभाव के वोट देने और निर्वाचित होने का अधिकार है. सैनिकों को भी वोट देने और निर्वाचित होने का अधिकार है. केवल अदालत द्वारा आरोपित व्यक्ति, कानूनन मानसिक रुप से अस्वस्थ करार दिए गए व्यक्ति को वोट देने और निर्वाचित होने का अधिकार नहीं है.


विदेशों में रहने वाले जनवादी कोरिया के नागरिकों को भी वोट देने और चुनाव में खड़े होने का अधिकार है पर इसके लिए उन्हें देश लौटना चाहिए. खासकर जापान में रहने वाले जनवादी कोरिया के नागरिक वहाँ सांसद के रूप में निर्वाचित भी हो चुके हैं और वहाँ की संसद में उनका कोटा भी है.

जनवादी कोरिया के सैनिकों को भी चुनाव में खड़े होने का अधिकार है और कई सैनिक सासंद के रूप में निर्वाचित भी हो चुके हैं.

सबसे महत्वपूर्ण बात कि क्यूबा समेत अन्य समाजवादी देशों में केवल कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य ही चुनाव में खड़े हो सकते हैं. पर जनवादी कोरिया में अगर कोई कम्युनिस्ट पार्टी (वर्कर्स पार्टी) के सदस्य नहीं भी है तो उसे चुनाव लड़ने में कोई मनाही नहीं है. (कईयो को मालूम भी नहीं होगा कि जनवादी कोरिया में वर्कर्स पार्टी के अलावा दो मुख्य प्रगतिशील पार्टियां कोरिया सामाजिक जनवाद पार्टी (Korea Social Democratic Party, 조선사회민주당) और छन्दोइस्ट छंगू पार्टी ( Chondoist Chongu party 천도교청우당) भी हैं और ये तीनों पार्टियां पितृभूमि (कोरिया) एकीकरण जनवादी मोर्चा (Democratic front for the reunification of Korea/of the fatherland 조국통일민주주의전선) गठबंधन का हिस्सा हैं. जनवादी कोरिया की 687 सदस्यीय संसद (2014) में वर्कर्स पार्टी की 607, सामाजिक जनवाद पार्टी की 50 और छन्दोइस्ट पार्टी की 22 सीटें थीं. जनवादी कोरिया में पूंजीवाद की दलाल पार्टियां बेशक नहीं हैं )  

जनवादी कोरिया में वैसे तो ज्यादातर सांसद वर्कर्स पार्टी के होते हैं पर वहाँ दूसरी पार्टी के और निर्दलीय भी सासंद के रूप में निर्वाचित हुए हैं. उनमें से एक निर्दलीय सांसद (홍명희)तो देश के उपप्रधानमंत्री तक रह चुके हैं.


जनवादी कोरिया में सासंद (प्रांतीय जनसभा यानि वहाँ की 9 प्रांतीय विधानसभाओं और स्थानीय पार्षदों के लिए भी) उम्मीदवार उस निर्वाचन क्षेत्र की जनता की सीधी अनुशंसा और सामाजिक संगठन ओर राजनीतिक दल की अनुशंसा पर तय किया जाता है. उम्मीदवार तय होने पर उस निर्वाचन क्षेत्र की जनता द्वारा चुना गया स्थानीय चुनाव आयोग 100 से ज्यादा सदस्यों वाले निर्वाचक मंडल(선거인회의)का गठन करता है. यह निर्वाचक मंडल होने वाले उम्मीदवारों की योग्यता की सार्वजनिक रूप से जांच करता है. इसमें पास होने पर ही कोई भी आधिकारिक रूप से उम्मीदवार बन सकता है. उम्मीदवारों की संख्या पर कोई रोक नहीं है पर ज्यादातर मामलों में अंत में एक ही संयुक्त उम्मीदवार घोषित होता है और उसके समर्थन या विरोध में वोट डाले जाते हैं. 


जनवादी कोरिया में मतदान अनिवार्य नहीं है और उसके लिए कोई जबरदस्ती नहीं की जाती है.फिर भी वहाँ हर बार मतदान की दर 99% से कुछ अधिक रहती है क्योंकि वहाँ जनता की ही पसंद और भरोसे का उम्मीदवार होता है और जनता अपनी नियति की मालिक खुद ही है. अनिवार्य मतदान की व्यवस्था दुनिया के 30 देशों में है. उदाहरण के लिए यूनान में अगर किसी ने वोट नहीं डाला तो सरकार उसका पासपोर्ट और ड्राईविंग लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा देती है. बेल्जियम में वोट नहीं डालने पर सरकारी नौकरी मिलने में दिक्कत होती है.

जनवादी कोरिया में चुनाव एक उत्सव की तरह होता है. मतदाता नाचते गाते हुए मतदान केंद्र तक जाते हैं .चुनाव की अवधि भी आधिकारिक तौर पर 4 दिन की होती है. वोट डालते समय दूसरे इलाके का निवासी भी पहचान पत्र रहने पर देश में के किसी भी मतदान केंद्र पर अपना वोट डाल सकता है. वृद्ध और दिव्यांग लोगों के लिए चलंत मतदान केंद्र की व्यवस्था की जाती है. 

वोटों की गिनती के परिणामस्वरूप, जिस उम्मीदवार के पक्ष में बहुमत प्राप्त होता है, वह निर्वाचित हो जाता है और यदि विरोध अधिक होता है या जिस सीट पर उम्मीदवारों को(जहाँ संयुक्त उम्मीदवार घोषित नहीं हो पाया) प्राप्त मतों की संख्या बराबर होती है, तो सभी उम्मीदवारों को हारा हुआ घोषित कर दिया जाता है और दुबारा चुनाव कराए जाते हैं 

 जनवादी कोरिया में सासंद, विधायक और पार्षद अपने अपने निर्वाचन क्षेत्र की जनता से घनिष्ठ संबंध रखते हैं और क्षेत्र के अपने सभी कार्यों की पूरी जिम्मेदारी लेते हैं. अगर निर्वाचन क्षेत्र की जनता अपने जनप्रतिनिधि के कार्य से असंतुष्ट हैं या जनप्रतिनिधि जनता का भरोसा खो चुका/चुकी है तो जनवादी कोरिया के समाजवादी संविधान की धारा 7 उस क्षेत्र की जनता को कभी भी ऐसे जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार(Right to Recall) देती है.

 

क्या कहा!! जनवादी कोरिया में जनप्रतिनिधि जनता द्वारा काम पसंद न होने न आने पर वापस भी बुलाए जा सकते हैं!! यह तो जनता के हाथ में और ज्यादा ताकत देने की बात हो गई और इसे तो विकसित और परिपक्व लोकतंत्र की पहचान माना जाता है. फिर किस आधार पर जनवादी कोरिया को कैसे क्रूर तानाशाह वाला मुल्क और तथाकथित डेमोक्रेसी रैंकिंग में नीचे कैसे रखा जा सकता है? न खाता न बही, जो काॅरपोरेट मीडिया कहे वही सही! आम लोगों का तो एक हद तक ब्रेनवाश्ड होना समझ में आता है, पर दुनिया भर का विश्लेषण करने वाले अंतर्राष्ट्रीय मामलों के तथाकथित प्रगतिशील विशेषज्ञों, प्रोफेसरों या पत्रकारों की बुद्धि को कौन सा लकवा मार गया है, जनवादी कोरिया के बारे में सही से पढ़ना लिखना भी इन्हें गवारा नहीं.या तो ये पूरी तरह से बिक चुके अपने पेशे के गद्दार हैं या घाघ हैं या जनवादी कोरिया के बारे में बिलकुल अनभिज्ञ चिरकुट. बिन जनवादी कोरिया के बारे में ढंग से पढ़े लिखे ऐसे लोगों क चिरकुटई आम हो चुकी है. उसपे तुर्रा ये कि ये तथाकथित बुद्धिजीवी भी हैं.


जनवादी कोरिया की संसद सुप्रीम पीपुल्स एसेंबली (최고인민회의) वहाँ की सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था है और इसे वहाँ की राज्य कार्य आयोग ( State affairs commission, 국무위원회), के अध्यक्ष ( वर्तमान अध्यक्ष काॅमरेड किम जंग उन), संसद के अध्यक्ष, कैबिनेट प्रधानमंत्री, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को चुनने और हटाने का अधिकार है . 

यानि तथाकथित तानाशाह किम जंग उन को भी हटाए जाने का भी प्रावधान है. चिंता मत कीजिये काॅमरेड किम जंग उन अपनी जनता के लिए सदैव समर्पित हैं और जनवादी कोरिया कोई 66% वोटिंग वाली दुनिया की तथाकथित पुरानी डेमोक्रेसी या 67% वोटिंग वाली दुनिया की तथाकथित सबसे बड़ी डेमोक्रेसी नहीं है


सुप्रीम पीपुल्स एसेंबली में 687 सीटें हैं अगर जनवादी कोरिया की कुल ढाई करोड़ की आबादी के अनुपात से हिसाब लगाया जाए तो वहाँ लगभग हरेक 30 हजार की आबादी पर एक संसदीय सीट है जिसके की ज्यादा से ज्यादा आबादी को संसद जैसी सर्वोच्च नीति निर्धारक संस्था में प्रतिनिधित्व मिल सके. दुनिया के तथाकथित सबसे बड़े लोकतंत्र की संसद में जनता के प्रतिनिधित्व की क्या ही दशा होगी इसका अंदाजा लगा लीजिए.


इसके अलावा जनवादी कोरिया में, आम नागरिकों को स्थानीय सरकारी संरचनाओं से पूछने और राय व्यक्त करने का अधिकार है, और इन संस्थानों का कर्तव्य है कि वे केंद्रीय स्तर तक और उन्हें शामिल करते हुए जनता को जवाब दें.


जनवादी कोरिया की समाजवादी संविधान की धारा 69 कहती है कि नागरिक शिकायतों और याचिकाओं को प्रस्तुत करने के हकदार है. राज्य कानून द्वारा निर्धारित निष्पक्ष रूप से शिकायतों और याचिकाओं की जांच करेगा और उनसे निपटेगा. 



इस तरह हम देख सकते हैं कि जनवादी कोरिया के शासन और राजनीति में जनता की इच्छा सचमुच व्यक्त होती है . वहाँ जनता का विद्रोह नहीं होता है क्योंकि वहां की जनता को पता है कि उनकी तकलीफों को सुनने और उसका समाधान करने का तंत्र मौजूद है. बाकी जनवादी कोरिया के दुश्मन अपने ख्याल में ही वहाँ विद्रोह करवाते रहें.

जनवादी कोरिया जैसे समाजवादी लोकतंत्र में भी विपक्ष था पर बाद में उसकी भूमिका गौण हो गई और यह सब जनता के राजनीतिक चेतना के उन्नत होने से हुआ जोर जबरदस्ती द्वारा थोपे जाने से नहीं. चूँकि समाजवादी लोकतंत्र एक उच्च किस्म का लोकतंत्र है तो सारी समस्याएं पार्टी के अन्दर बहस मुबाहिसे के द्वारा सुलझा ली जाती है. पूंजीवादी लोकतंत्र के जैसे उन्हें सड़कों पर उतरने की नौबत नहीं आती. पूंजीवादी लोकतंत्र का काम ही समस्या पैदा करना है और उसकी बुनियाद ही केवल पूंजीपतियों के मुनाफे पर आधारित है. आम जनता का विश्वास पूंजीवादी व्यवस्था पर बनाये रखने के लिए जरुर फौरी तौर पर कुछ राहतें दे दी जाती हैं. आप देखते ही रहते हैं की हमारी वोट से सरकार बनती है लेकिन वो काम ज्यादातर पूंजीपतियों का ही करती है.

पूंजीवादी लोकतान्त्रिक व्यवस्था में तथाकथित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर जनता को आलोचना का अधिकार दे दिया जाता है. क्योंकि शासक और पूंजीपति वर्ग को पता होता है कि जबतक व्यवस्था परिवर्तन की बात बड़े पैमाने पर नहीं हो रही है और इसका प्रभाव सीमित है तब तक कुछ नहीं होने वाला. पूंजीवादी व्यवस्था में तो ज्यादातर लोगों की चेतना को पहले ही कुंद कर दिया जाता है.

इसके विपरीत समाजवादी लोकतंत्र पूंजीवादी लोकतंत्र के मुकाबले लोकतंत्र का कहीं उच्चतर रूप है, जिसमें जनता के लगातार बढ़ते तबकों को खींचा जाता है और सामाजिक और राजनीतिक गतिविधि के सभी क्षेत्रों में उनकी हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाती है.

इस तरह जनवादी कोरिया जैसे समाजवादी लोकतंत्र में पूंजीपतियों के प्रति वफादारी दिखाने के लिए सत्ता प्राप्त करने के लिए कुत्ताघसीटी नहीं होती बल्कि जनता के लिए कल्याणकारी नीतियों को और मजबूत करने और उनकी चेतना बढ़ाने के लिए और उसके अगले चरण कम्युनिस्ट समाज बनाने के लिए ही काम होता है.

जनवादी कोरिया में चुनाव का एक दृश्य. इस तस्वीर में विदेशियों को मतदान केंद्रों पर नृत्य में शामिल होते हुए देखा जा सकता है


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