फसल कटाई
इन दिनों उत्तर कोरिया में फसलों (धान) की कटाई का काम अपने अंतिम चरण में है. देश के सभी सहकारी कृषि फार्मों में फसल कटाई के लिए चरणबद्ध योजना बनाई गई है और ट्रैक्टर समेत अन्य कृषि यंत्र दिन रात काम में लगे हुए हैं (फसल ही इतनी भरपूर हुई है) और कुछ दिनों के बाद British Brainwashing Corporation (BBC) और Crazy News Network (CNN) और उनकी झूठन परोसने वाले अन्य मीडिया चैनल हमें बताने लगेंगे कि उत्तर कोरिया में भयानक खाद्य संकट है, फसलें बर्बाद हो गई हैं और लाखों लोग भुखमरी के कगार पर हैं और न जाने क्या क्या.
BBC और CNN कम से कम वर्ल्ड बैंक या विश्व खाद्य संगठन (WFP) अपने जैसे साम्राज्यवाद के पैसों से पलने वाले बंधु बिरादरों के ही आंकड़े का इस्तेमाल कर लेते जिसमें यह कबूल किया गया है कि उत्तर कोरिया की खाद्य आत्मनिर्भरता 90 फीसद से उपर है और भुखमरी से लोग नहीं मरे थे. एक बात और कि उत्तर कोरिया की 15 फीसदी भूमि ही कृषि योग्य है और वहाँ की जलवायु भी खेती के लायक नहीं है . वहाँ अगर खराब मौसम या अन्य वजहों से फसलें बर्बाद होगी तो वहाँ की पार्टी और प्रशासन ईमानदारी से इस बात को स्वीकार कर लेगा. वहाँ की असलियत छुपाने का काम पश्चिमी और दक्षिण कोरिया का मीडिया करता है. उत्तर कोरिया में असल मालिक जनता से कोई भी बात नहीं छिपाई जाती
अमेरिका और उसके सबसे बड़े पिट्ठू दलाल दक्षिण कोरिया ने दुनिया को लोगों के दिमाग में उत्तर कोरिया को लेकर प्रोपेगेंडा का इतना भूसा भर दिया है कि कोई भी इस बात पर जरा सा भी यकीन नहीं करेगा कि उत्तर कोरिया के प्रत्येक नागरिक को हर रोज बहुत ही कम कीमत पर या बिल्कुल मुफ्त में सरकार की ओर से 500 ग्राम टोफू (चाईनीज पनीर), 300 ग्राम चावल, 2 अंडे, 250 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम फल, पावरोटी या बेकरी उत्पाद और 2 लीटर बीयर उपलब्ध कराया जाता है.(ग्रेट ब्रिटेन के कोरिया मैत्री संगठन Korea Freiendship Association,KFA UK के अनुसार) . और वहीं तथाकथित "अमीर" और "विकसित" दक्षिण कोरिया की बात करें तो वहाँ पिछले साल 2020 में ही भूख से औसतन हर रोज एक व्यक्ति की मौत हुई है. वहाँ 65 साल से उपर के तीन चौथाई लोग गरीबी के शिकार है. अब तो वहाँ 20 और 30 आयु वर्ग के युवा भी भुखमरी के शिकार हैं और पौष्टिक भोजन से महरूम हैं और अपना पेट भरने के लिए घटिया नूडल्स पर निर्भर हैं और तो और ऐसे लोगों द्वारा दुकानों से अंडे और नूडल्स के पैकेट चुराए जाने की खबरें भी हैं. दुनिया के सबसे बड़े अमीर अमेरिका की तो बात ही नहीं हो रही. और विश्वगुरु की खैर क्या बात ही की जाए .101 की संख्या तो 1 से बड़ी होती है तो लोगों इसी में खुश रहो, नहीं गर्व करते रहो!
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