कोरोना और जनवादी कोरिया (उत्तर कोरिया)

 यह लेख 16 अप्रैल 2020 का है

इन दिनों दुनिया के लगभग सभी देश कोरोना वायरस का कहर झेल रहे हैं, लेकिन कुछ  देश ऐसे भी हैं जहाँ आधिकारिक तौर पर कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है, वैसे देशों में उत्तर कोरिया भी शामिल है.

चीन की शिन्हुआ न्यूज़ एजेंसी की हालिया खबर के मुताबिक उत्तर कोरिया ने कोरोना का मामला सामने आते ही देश में इसकी रोकथाम के लिए बिना समय गंवाए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए गए . 22 जनवरी से ही देश में विदेशी पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया गया और चीन के साथ लगती देश की रेल और वायु सीमा को बंद कर दिया गया. देश के सभी शिक्षण संस्थानों में चल रहे शीतकालीन अवकाश को आगे बढ़ा दिया और नए शैक्षणिक सत्र को अगले आदेश तक टाल दिया गया. इसके अलावा सरकार ने कोरोना महामारी की वैश्विक स्थिति पर हर पल नजर रखते हुए जनता के बीच कोरोना की रोकथाम के लिए सक्रिय रूप से जागरूकता अभियान चलाते हुए सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के जमा होने पर रोक लगा दी. मास्क समेत कोरोना महामारी की रोकथाम से संबंधित वस्तुओं का उत्पादन बढ़ा दिया गया. देश में सार्वजनिक स्थानों पर लोग मास्क लगाए दिखे. 

राजधानी प्योंगयांग के    डिपार्टमेंटल स्टोरों पर अंदर जाने के पहले लोगों के शारीरिक तापमान की जांच की जा रही है और आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं है.सभी सार्वजनिक स्थानों और अस्पतालों को नियमित रूप से संक्रमण मुक्त किया जा रहा है.

 उत्तर कोरिया में अभी तक कोरोना का एक भी मामला नहीं आने के बावजूद भी वहाँ की सरकार चैन से नहीं बैठी है और काफी सतर्कता बरत रही है. 29 फरवरी को वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया की पोलितब्यूरो की बैठक में संबंधित विभागों से कोरोना वायरस के प्रसार की सारी संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा हुई और जांच को तेज करने और क्वारंटीन को और प्रभावी बनाने के फैसले लिए गए.  


उत्तर कोरिया की समाजवादी व्यवस्था के तहत वहाँ सभी को मुफ्त चिकित्सा उपलब्ध है. उत्तर कोरिया में चिकित्सा का सोवियत और क्यूबा माडल ही चलता है. वहाँ के हरेक डाक्टर का इलाका बंटा रहता है. उस इलाके में रहने वाले प्रत्येक परिवार के सदस्यों की संबंधित डाक्टर द्वारा नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है और बीमारी से बचाव के उपाय बताए जाते हैं. विश्व बैंक के 2016 तक के आकड़ों के अनुसार उत्तर कोरिया में प्रति 1000 लोगों पर डाक्टर का अनुपात 3.7 है जो  अमेरिका (2.6), चीन (1.8), जापान (2.9), भारत (0.8), फ्रांस (3.2), यूके (2.8), कनाडा (2.6) और दक्षिण कोरिया (2.4) से भी अधिक है 

( https://data.worldbank.org/indicator/sh.med.phys.zs). 

हमें यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि उत्तर कोरिया पर इस दुनिया के  कठोरतम अमानवीय आर्थिक प्रतिबंध भी लगे हुए हैं. इसके बावजूद वहाँ की पार्टी और सरकार  के लिए जनता की बेहतर स्वास्थ्य सुविधा एक "महानतम क्रांतिकारी कार्य" है. देश में हाल के वर्षों में आधुनिकतम सुविधाओं से युक्त अस्पताल बनाए गए हैं.  इसी 17 मार्च को राजधानी प्योंगयांग में आधुनिक अस्पताल के निर्माण की नींव रखी गई.  निर्माण कार्य का उद्घाटन करते हुए चेयरमैन किम जोंग उन ने कहा कि वर्कर्स पार्टी  ऑफ कोरिया की स्थापना की 70 साल पूरे होने पर पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक में प्योंगयांग में आधुनिक अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया  और यह इस साल की "प्राथमिक परियोजना" है. इस अस्पताल को 7 महीने में यानि इसी अक्टूबर में पूरा करने का लक्ष्य है.


ऐसा कैसे संभव हो सकता था कि उत्तर कोरिया के खिलाफ विषवमन न किया जाए. उत्तर कोरिया पर हर समय जासूसी उपग्रह से नजर रखने वाले देश जो खुद कोरोना के कहर से किरकिरी का सामना कर रहे हैं, उन्हें भला कैसे ये बात हजम कैसे हो सकती थी कि उत्तर कोरिया में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया. चलिए उनके विषवमन को छोड़ भी देते हैं तो एक खबर के अनुसार दक्षिण कोरिया के एक धुर दक्षिणपंथी फासीवादियों के एक गुट ने उत्तर कोरिया में कोरोना महामारी फैलाने की योजना बनाई थी ताकि महामारी फैलाकर उत्तर कोरिया को कमजोर कर दक्षिण कोरिया द्वारा कब्जा कर कोरिया का एकीकरण सुनिश्चित किया जा सके. दक्षिण कोरिया के  ये नफरती अपनी इस खतरनाक और घिनौनी योजना के बारे में खुल्लमखुल्ला अपने आनलाईन ग्रुप में बात कर रहे थे. इन लोगों की कोरोना संक्रमित लोगों के थूक और बलगम को ऊंचे दाम पर भी खरीदने की योजना थी. इन नफरतियों  ने तो सीमावर्ती क्षेत्र से बैलून में एक डालर का वायरस संक्रमित नोट डालकरउत्तर कोरिया तक पहुँचाने की कोशिश की थी पर एक बैलून हवा की दिशा बदलने के कारण उल्टे दक्षिण कोरिया के कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित दक्षिण पूर्व क्षेत्र में ही जा गिरा, वहाँ अज्ञात स्त्रोतों से कोरोना संक्रमण के कुछ मामले मिले हैं. जो इन नफरतियों की करतूत की ओर इशारा कर रहे हैं. यही नहीं इन नफरतियों ने चीन की उत्तर कोरिया के साथ लगती सीमा पर बहती नदी में प्लास्टिक की बोतल में भी एक डालर का वायरस संक्रमित नोट डालकर उत्तर कोरिया की ओर बहाया. चीन के उस सीमावर्ती इलाके में भी कोरोना के कुछ संदिग्ध मामले मिले हैं और स्थानीय पुलिस इसकी जाँच कर रही है (http://m.amn.kr/36355   कोरियाई भाषा) 

 


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