संदेश

मार्च, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

टैक्स प्रथा के उन्मूलन के 50 साल

चित्र
  21 मार्च को कोरिया लोकतांत्रिक जनवादी गणराज्य (उत्तर कोरिया) में  टैक्स प्रथा के  उन्मूलन के 50 साल पूरे हुए. जनवादी कोरिया टैक्स प्रथा का उन्मूलन करने वाला इतिहास का पहला राज्य बन गया है. यह एक असाधारण उपलब्धि है.वहीं हम यह भी देखते हैं कि पूंजीवादी देशों में टैक्स हर समय बढ़ रहा है. 21 मार्च, 1974 को जनवादी कोरिया की सर्वोच्‍च जन सभा यानि संसद ने टैक्स प्रथा को पूरी तरह समाप्‍त करने के लिए ऐतिहासिक कानून को पारित किया, जो निम्‍नलिखित है: 1.पुराने समाज के एक अवशेष, टैक्स प्रणाली को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा. 2. जनवादी कोरिया की प्रशासन परिषद इस कानून को लागू करने के लिए कदम उठाएगी. 3. यह कानून 1 अप्रैल, 1974 से प्रभावी होगा. जब जनवादी कोरिया ने यह कानून पारित किया तो उसने भविष्य में एक बड़ी छलांग लगाई और मूल रूप से एक ऐसी समस्या का समाधान किया जो सदियों से अस्तित्व में थी.  एक पुरानी कहावत है कि जीवन में केवल दो बातें निश्चित हैं मृत्यु और कर . पर एक झटके में जनवादी कोरिया ने करों को समाप्त कर दिया. काॅमरेड किम इल संग और काॅमरेड किम जंग इल ने कराधान समाप्त करने की य

सच्ची लैंगिक समानता की भूमि

चित्र
  8 मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है जो जनवादी कोरिया में एक सार्वजनिक अवकाश होता है और जिसे महिलाएं मनाती हैं . जनवादी कोरिया में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर कार्ड जारी किए जाते हैं और कार्ड के साथ महिलाओं को इस दिन फूलों का गुलदस्ता दिया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि जनवादी कोरिया में महिलाओं का सम्मान किया जाता है और साथ ही साथ उन्हें कानूनी रूप से लैंगिक समानता भी दी गई है . जनवादी कोरिया में कुछ संस्‍थानों और उद्यमों के नाम भी 8 मार्च पर है जैसे कि सारीवन शहर का 8 मार्च होटल .  जनवादी कोरिया अपनी स्थापना के पहले दिन से ही महिलाओं को सामंती दमन से मुक्ति दिलाने की बात करता रहा है. 30 जुलाई, 1946 को उत्तर कोरिया की अस्थायी लोक समिति ने यौन समानता पर कानून पारित किया, जिसने देश के इतिहास में पहली बार महिलाओं को पुरुषों के साथ समान अधिकार दिया. बाद में जनवादी कोरिया के समाजवादी संविधान में लैंगिक समानता को स्थापित किया गया और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने वाले अन्य कानून पारित किए गए. शिशु पालन के लिए देश भर में 24 घंटे और सातों दिन चलन